सिद्धि प्रयोग
॥ मंत्र ॥
ॐ हस्त अली हस्तों का सरदार।
लगी पुकार।
करो स्वीकार।
हस्त अली।
तेरी फ़ौज चली।
भूत प्रेतों में मची खलबली।
हस्त अली।
मेरा हाथों के साथ।
तेरे भूत प्रेत।
करें मेरी सत्ता स्वीकार।
पाक हस्त की सवारी।
तड़पता हुआ भागे।
जब मैंने चोट ,मारी।
आकाश की उचाईयों में।
धरती की गहराइयों में।
लेना तूं खोज खबर।
सब पर जाये तेरी नजर।
इन हाथों पर कौन बसे।
नाहर सिंह वीर बसे।
जाग रे जाग नाहरा।
हस्त अली की आन चली।
मारूं जब भी मैं चोट।
भूत प्रेत किये कराये लगे लगाए ।
अला बला की खोट।
जादू गुड़िया।
मंत्र की पुड़िया।
श्मशान की ख़ाक।
मुर्दे की राख।
सभी दोष हो जाएँ ख़ाक।
मंत्र साँचा।
पिंड कांचा।
फुरे मंत्र ईश्वरोवाचा।
विधि: इस प्रयोग से हाथों की माया सिद्ध होती है। सूर्यग्रहण के पूरे पर्वकाल तथा उसकी ही रात्रि को अपने समक्ष लोबान सुलगाकर चमेली के पुष्प रखें फिर इस मंत्र को निरंतर जपें तो यह मंत्र सिद्ध हो जायेगा।
इसके लाभार्थ अपने हाथ को इस मंत्र से शक्तिकृत करके किसी को मरने से उसके दोषों का उच्चाटन हो जाता है। इस हाथ से किये हुए सभी कार्य सिद्ध हो जाते है।
शत्रु को यह हाथ छुआने से पहले शत्रुता का नाश होता है। अगर किसी कारन से शत्रुता बहुत गहरी है तो शत्रु वहां से भाग खड़ा होता है। उसका तीव्र उच्चाटन हो जाता है।
खरतनाक प्रयोग
तत्काल उच्चाटन खरतनाक प्रयोग
काला उच्चाटन जलती हुई चिता से
॥ मंत्र ॥
सफ़ेद कबूतर।
काले कबूतर।
काट काट के मैं चढ़ाता।
काली के बेटे तुझे बुलाता।
लौंग, सुपारी धवजा नारियल।
मदिरा की मैं भेंट चढ़ाता।
काली विद्या मैं चलाता।
बावन भैरों चौसठ योगिनी।
बने इस काज सहयोगिनी।
ॐ नमो आदेश आदेश आदेश।
विधि: खरतनाक प्रयोगों में सबसे खरतनाक प्रयोग यही है।॥ मंत्र ॥
सफ़ेद कबूतर।
काले कबूतर।
काट काट के मैं चढ़ाता।
काली के बेटे तुझे बुलाता।
लौंग, सुपारी धवजा नारियल।
मदिरा की मैं भेंट चढ़ाता।
काली विद्या मैं चलाता।
बावन भैरों चौसठ योगिनी।
बने इस काज सहयोगिनी।
ॐ नमो आदेश आदेश आदेश।
इसे कालरात्रि में शुरू करके सुबह तक करना है तब फिर होली के दिन शमशान में जाकर काला कबूतर काट कर डाल दें। फिर दिवाली को रात में फिर लगातार इस मंत्र का जप करें और अब की बार सफ़ेद कबूतर काट कर दाल दें। और काट कर इसका पंजा अपने पास रख कर शेष समशान में छोड़ दें। अब किसी भी शनिवार को जब कृष्ण पक्ष हो, श्मशान में जाकर जलती हुई चिता के समक्ष बैठ कर लगातार इस मंत्र का जप करें। सुबह होते ही उसकी राख लेकर प्रस्थान करें। यह राख इसी मंत्र से शक्तिकृत करके जिसे भी छुआ दो गे। उसका तत्काल उच्चाटन हो जायेगा और कभी भूल कर भी देखाई नहीं देगा।
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