Assam Ka Sidha Tantra | आसाम का सिद्ध तंत्र
आसाम का काला जादू और तंत्र सिद्ध, मायोंग काला जादू, इन्द्रजाल जादू- आसाम के मायोंग शहर को काले जादू का गढ़ कहा जाता है. प्राचीन समय से ही यहाँ काले जादू को जानने वाले और तंत्र मन्त्र से वशीकरण करने वाले रहते हैं. इस शहर में रहने वाला हर व्यक्ति काला जादू करने में सक्षम है. यहाँ पर काला जादू करने की तंत्र विद्या अनूठी है. इसीलिए यहाँ की तंत्र विद्या आसाम का काला जादू के रूप में विख्यात है. प्राचीन समय में ये स्थान कामरूप प्रदेश के रूप में जाना जाता था.
मायोंग गाँव गुवाहाटी से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित है. आसाम का काला जादू का खौफ लोगों पर इस तरह है कि यहाँ के आसपास के गाँव के लोग यहाँ का नाम लेने से ही कांपते हैं. इस काले जादू के अंतर्गत एक पुतले में सुई चुभोकर किसी इंसान को तकलीफ दी जा सकती है. आसाम का काला जादू के प्रयोग में नींबू, मिर्च, सुई और पुतला मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है. इस काले जादू की शक्ति इतनी अधिक है की इससे किसी इंसान को जानवर भी बनाया जा सकता है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार भीम का मायावी पुत्र घटोत्कच मायोंग का राजा था. एक अन्य कथा के अनुसार १३३२ में जब असम पर मुग़ल शासक मोहम्मद शाह ने आक्रमण किया था तो यहाँ मौजूद तांत्रिकों से मायोंग काला जादू के प्रयोग से एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी कि जो भी सैनिक उसके पास जाता गायब हो जाता था.
मायोंग काला जादू से प्रभावित होकर देश दुनिया से लोग यहाँ पर काले जादू को सीखने, बीमारियाँ दूर और अपना स्वार्थ सिद्धि के लिए यहाँ आते हैं. मायोंग में यहाँ के जादू को दर्शाने वाली 12वीं सदी की कई पांडुलिपियाँ मौजूद हैं. यहाँ पर बौद्ध और हिन्दू दोनों धर्म के लोग काला जादू का प्रयोग करते थे.
मायोंग में काला जादू करने के लिए एक विशिष्ट स्थान है इसे बूढ़े मायोंग के नाम से जाना जाता है. यहाँ पर एक योनि कुंड भी है जिसके आस पास कई तंत्र मन्त्र लिखे हैं. माना जाता है कि प्राचीन समय में यहाँ पर नर बलि भी दी जाती थी.
आसाम का काला जादू और तंत्र सिद्ध में महिलाएं बहुत निपुण होती थीं. इसके पीछे कारण यहाँ पर प्राचीन समय में मातृ सत्तात्मक समाज व्यवस्था था. प्राचीन कहानियों के अनुसार इस आसाम का काला जादू के प्रयोग से यहाँ पर आने वाले युवाओं को भेड़ बकरियों में परिवर्तित कर दिया जाता था. आसाम को पुराने समय में कामरूप प्रदेश के रूप में भी जाना जाता था. ये स्थान तंत्र सिद्धि और जादू टोने का मुख्य स्थान है.
वैसे तो हर तरह का वशीकरण और काले जादू से अपने मन के अनुरूप परिणाम प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन आसाम का काला जादू इस मामले में बहुत ही सटीक और असरदार है. आसाम का काला जादू से आसपास के अच्छी और बुरी शक्ति को एकत्रित कर एक दिशा में इसका प्रयोग किया जाता है. इस जादू का प्रयोग अच्छी नीयत से करने के कोई दुष्परिणाम नही हैं.
आसाम का काला जादू और तंत्र सिद्ध से कठिन से कठिन समस्या का समाधान किया जा सकता है. इसके प्रयोग से मुश्किल से मुश्किल परिस्थियों पर विजय पायी जा सकती है. ये जादू विद्या प्रेम विवाह, गृह क्लेश, धन की रूकावट, व्यापर में हानि, नौकरी न मिलना, प्रमोशन में अड़चन, दुश्मन या सौतन से छुटकारा, अदालत में मामले, संतान की समस्या आदि में काफी असरदार होता है.
काले जादू के प्रयोग अधिकतर नकारात्मक अर्थों में होता है. इसमें ईर्ष्या या द्वेष से प्रेरित हो कर व्यक्ति दूसरे का अहित करने की कोशिश करता है. काले जादू में नकारात्मक शक्तियों को किसी व्यक्ति के अहित के लिए उपयोग में किया जाता है.
आसाम का काला जादू और इंद्र जाल का प्रयोग बहुत ही असरदार होता है. इंद्र जाल प्राचीन भारत की एक जादुई विद्या है. इसे वशीकरण, काला जादू, सम्मोहन विद्या आदि से जोड़कर देखा जाता है. इस विद्या के कारण प्राचीन समय में भारत बहुत लोकप्रिय था. इंद्रजाल जादू को विश्व में फैलाने का श्रेय भारत को ही जाता है.
प्राचीन समय में इस विद्या के प्रयोग से संप्रदाय के प्रचारक लोगों को वश में कर उन्हें गुलाम बना लेते थे. जादू से सम्बंधित कई पुस्तके इंद्र जाल से ही प्रेरित हैं. इंद्र जाल के लिए मंत्र तंत्र, सम्मोहन, वशीकरण और उच्चारण आदि का प्रयोग किया जाता है.
इंद्र जाल के मुख्य प्रयोग लोगों को मंत्र मुग्ध करने भ्रमित कर देना है. इंद्र जाल करने वाला जो चाहता है वह उसी के अनुरूप द्रश्य पैदा कर देता है. इंद्रजाल का ज्ञाता अपनी मंत्र माया के प्रयोग से एक अलग ही संसार खड़ा कर देता है. इसमें जादूगर दर्शकों में मन और कल्पना को एक विशिष्ट द्रश्य पर केन्द्रित कर देता है. जब दर्शकों का ध्यान केन्द्रित हो जाता है तब जादूगर विशिष्ट ध्वनि और चेष्टा करता है, इससे दर्शकों को लगता है कि ये घटना उनके सम्मुख हो रही है.
इंद्रजाल को मुख्य रूप से शत्रुओं पर विजय पाने के लिए प्रयोग किया जाता है. जो व्यक्ति इंद्रजाल का प्रयोग करता है उसे ऐंद्रजालिक कहते हैं. धर्म के विस्तार के लिए, युध्द में विजय प्राप्त करने के लिए तथा स्वार्थ सिद्धि में इंद्र जाल का प्रयोग बहुतायत से किया जाता है. आज पश्चिमी देशों में ये विद्या बहुत लोकप्रिय हो रही है.
चाणक्य के एक अनुयायी कामंदक ने भी अपनी नीतियों में इंद्रजाल के प्रयोग को उचित ठहराया है. उनके अनुसार अचानक आसमान में बादल दिखाई देना, चारों ओर अंधकार हो जाना, अचानक आग की बारिश होने लगना, पेड़ों पर भयंकर द्रश्य दिखाई देना आदि द्रश्य शत्रु सेनाओं के बीच भय पैदा कर देते हैं. भय पैदा करने वाले ऐसे कई द्रश्य इंद्रजाल से पैदा किये जा सकते हैं.
इंद्रजाल जादू के पीछे मुख्य बात ये है कि हर वो चीज़ जो जिससे आखें, बुद्धि और चेतना भ्रमित हो वह इंद्रजाल से किया जा सकता है. इंद्रजाल के बारे में विश्वसार, डारमंत्र और रावण संहिता में विशेष उल्लेख मिलता है.
इंद्रजाल के नाम से एक जड़ी भी बहुत प्रचलित है. ये जड़ी समुद्र या पहाड़ी क्षेत्रों से प्राप्त की जा सकती है. ये जड़ी तांत्रिक प्रयोगों में काफी असरदार होती है. ये जड़ी तंत्र मंत्र जादू टोन आदि से सम्बंधित कुप्रभावों से आपको बचाती है. इंद्रजाल जड़ी एक समुद्री पौधा है. ये मकड़ी के जाले के सामान दिखती है.
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