अब एक अद्वितीय मंत्र
अब एक अद्वितीय तंत्र,मंत्र,यंत्र,जन्त्र,बंधन दोष एवं सर्व बाधा निवारण मंत्र
अभिचार-कर्म नाशक मंत्र-
राम नाम लेकर हनुमान चले,कहा चले चौकी बिठाने चले,चौकी बिठाके रात की विद्या दिन की विद्या चारो प्रहर कीविद्या काटे हनुमान जती,मंत्र बाँध तंत्र बाँध जन्त्र बाँध रगड के बाँध,मेरी आण मेरे गुरू की आण,छु वाचापुरी
मंत्र का रोज मंगलवार से 108 बार जाप 21 दिन करना है.शाबर मंत्रो मे बाकी नियम नही होते है.मंत्र सिद्ध होगा & बभुत पर मंत्र को 11 बार पढकर 3 फुंक लगाये.अब बभुत को जिसपर तंत्र बाधा हो उसके माथे पर लगा दे तो पीडितके कष्ट दुर हो जायेगा.इस मंत्र से चौकी भी लगता है,बाधा भी कटता है और बंधन भी लगाया जाता है.यह हनुमतमंत्र मुझे गुरूमुख से प्राप्त हुआ है जो इस दुनिया के किसी भी किताब मे नही है.इस मंत्र से झाडा भी लगा सकते हैऔर पानी मे पढकर भी दिया जा सकता है…
2. छलछिद्र उच्चाटन
॥ मंत्र ॥
ॐ महावीर।
हनुमंत वीर।
तेरे तरकश में सौ सौ तीर।
खिण बाएं खिण दाहिने।
खिण खिण आगे होय।
अचल गुसाईं सेवता।
काया भंग न होय।
इंद्रासन दी बाँध के।
करे घूमे मसान
इस काया को छलछिद्र कांपे।
तो हनुमंत तेरी आन।
विधि: ये राम भक्त हनुमान जी के साधकों के लिए राम बाण प्रयोग है। पहले इसको सिद्ध कर लो. एकांत स्थान में१०८ बार २१ दिनों तक जप करो। मंत्र सिद्ध हो जायेगा। इसी दौरान अगर कुछ का कुछ देिखऐ दे तो घबराए नहीं . अपना जप चालु रखे।
बाद में जब भी जरूरत हो। लाल रंग के धागे में पांच तार लेकर लपेटकर इस मंत्र को पढ़ते हुए क्रम से सात गांठे लगादो और वांछित को पहना दें। हर तरह के छलछिद्रों का उच्चाटन हो जायेगा।
बाद में जब भी जरूरत हो। लाल रंग के धागे में पांच तार लेकर लपेटकर इस मंत्र को पढ़ते हुए क्रम से सात गांठे लगादो और वांछित को पहना दें। हर तरह के छलछिद्रों का उच्चाटन हो जायेगा।
3. प्रयोग उच्चाटन
॥ मंत्र ॥
काला कलुवा चौसठ वीर।
मेरा कलुवा मारा तीर।
जहां को भेजूं वहां को जाये।
मॉस मच्छी को छुवन न जाए।
अपना मार आप ही खाए।
चलत बाण मारूं।
उलट मूठ मारूं।
मार मार कलुवा तेरी आस चार।
चौमुखा दिया न बाती।
जा मारूं वाही को जाती।
इतना काम मेरा न करे।
तो तुझे अपनी माता का दूध हराम।
विधि: तांत्रिक प्रयोग आदि के द्वारा मारन प्रयोगों में कईप्रयोग है जैसे बाण और मूठ मारना , ये कुछ सरल और अचूक है। लेकिन ये देिखऐ नहीं देते और जब भी आपको ये लगेकी ऐसा हुआ है तब लगातार ऊपर दिया हुआ मंत्रकाजप करते रहे, तांत्रिक कर्म वापिस चला जायेगा।
लेकिन पहले इस मंत्र को सिद्ध कर लो. १०८ बार जपो प्रतिदिन ४१ दिनों तक।
लेकिन पहले इस मंत्र को सिद्ध कर लो. १०८ बार जपो प्रतिदिन ४१ दिनों तक।
4. श्वास उच्चाटन
॥ मंत्र ॥
ॐ वीर वीर महावीर।
सात समुन्दर का सोखा नीर।
देवदत्त (शत्रु क नाम) के ऊपर चौकी चढ़े।
हियो फोड़ चोटी चढ़े।
सांस न आव्यो पड्यो रहे।
काया माहीं जीव रहे।
लाल लंगोट तेल सिंदूर।
पूजा मांगे महावीर।
अन्तर कपडा पर तेल सिंदूर।
हजरत वीर कि चौकी रहे।
ॐ नमो आदेश आदेश आदेश।
विधि: यह प्रयोग शत्रु को मरेगा नहि लेकीन वो मारनतुल्य स्तिथि कर देगा उसकी। देवदत्त के स्थान पर शत्रुक नामलो। इसमें उसका शरीर स्थिर रहे गा लेकिनश्वास अनुभव नहि होगा।
मंगलवार कि रात को किसी चौराहे की हनुमान मंदिर मेंपहले हनुमान जी की पूजा करो। अब शत्रु के किसीवस्त्र परतेल ओर सिंदूर लगाकर देवदत्त के बदले शत्रुक नाम लेकर उसमे शत्रु कि प्राण प्रतिष्ठा करें अब उसकपडे को किसिहंडिया में रख कर उसका मुख बन्दकर उसे भली प्रकार बन्द करके जमीन में दबा दें – औरजब शत्रु को ठीक करना होतो उस हंडिया को खोल दें।लेकिन उस को लोहे कि किलों से या बबुल के कांटो सेन छेदें नहि तो शत्रु मर जाएगा।
5. विचित्र अवधूति उच्चाटन
॥ मंत्र ॥
ॐ नमो षट्क गॉव में आनंदी गंगा।
जहां धूँ धं साधनी क स्थान।
नौ नगर।
नौ नेहरा।
नौ पटना नौ ग्राम।
जहां दुहाई धूँ धं साधनी कि।
ॐ उलंट्स वेद।
प्लंटत काया।
गरज गरज बरसंत पत्थर।
बरसंत लोही।
गरजंत ध्रूवा बरसंत।
चलि चलि चलाई।
चकवा धुँधला धनी।
ॐ धुँधला धनी।
सब डांटत फट स्वाहा।
विधि: पहले इस मन्त्र को १००८ बार जप कर सिद्ध कर लें। तब जरूरत पड़ने पर मुर्गी क अंडा लेकर १०८ बारअभिमंत्रित करके जहां फेंक दो गए वहां से सभी नगरवासी भाग जायेंगे। ये पूर्ण सिद्ध प्रयोग है।
6. विचित्र मन्त्र
विधि: यह अत्यधिक भयप्रद प्रयोग है। अत: पूर्ण सोचसमझकर इसका प्रयोग करना चाहिए। उचितहोगाअगर इसको किसी पूर्ण गुरु कि देखरेख में हि कियजाएं। इसकी सिद्धि में देवता प्रत्यक्ष होकर कार्यपूराकरते है। इस मंत्र प्रयोग करता को त्यागी होना चाहिए ओर दृस्टि भर किसी को देखना नहि चाहिए।
॥ मंत्र ॥
ॐ नमो आदेश गुरु को।
हो हनुमंत वीर।
बस्ती नगरी।
कल करता।
जेहु कहु।
जेहु चेतु।
जेहु मांगू।
ॐ जो न करै।
जो न करावै।
अंजनी का सीधा पाँव धरेगा।
अंजनी का चूसा दूध हराम करेगा।
नेलती खेलती कि वाचा चूके।
गौतम रूखै।
सर का कमण्डला पानी सूखे।
चलो मन्त्र गौतमी क वाचा।
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