Monday, June 24, 2019

dakini shabar mantra | शाबर मन्त्र

शाबर मन्त्र


डाकिनी शाबर मन्त्र


 मंत्र 
 स्यार की ख़वासिनी 
समंदर पार धाइ।
आवबैठी हो तो आव।
ठाडी हो तो ठाडी आव।
जलती आ।
उछलती आ।
 आये डाकनी तो जालंधर पिर कि आन।
शब्द साँचा।
पिंड कांचा।
फुरे मन्त्र ईश्वरो वाचा।


विधिकिसी एकांत स्थान पर जहां चौराहा हो वहां पररात के समय 
कुछ मास मदिरा  मिट्टी  दीपकसरसों का तेल  सरसों लेकर जाय। काले कपडे पहन कर  नंगे होकर मन्त्र  ११ माला जप करेंसरसों के तेल  दीपक जल कर रेख लें। अब हाथ में सरसों लेकर मन्त्र पढ़कर चारोँ दिशाओं में फेंक दें। और दोबारा से मन्त्र जपना आरम्भ करेंमन में संकल्प रखें कि डाकिनी  रही है , कुछ हि देर में दौडतीचिलाती ओर उछलती डाकनियां  जायेँगी। उनका शराब और मॉस प्रदान करना तब अपने मनोवांछित उनको बोल देना।

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