1. शाबर मंत्र दुर्बलता का इलाज
:-
तू है वीर
बड़ा
हनुमान
|
लाल
लंगोटी
मुख
में
पान
|
ऐर
भगावै
|
बैर
भगावै
|
अमुक
में
शक्ति
जगावै
|
रहे
इसकी
काया
दुर्बल
|
तो
माता
अंजनी
की
आन
|
दुहाई
गौरा
पार्वती
की
|
दुहाई
राम
की
|
दुहाई
सीता
की
|
ले
इसके
पिण्ड
की
खबर
|
ना
रहे
इसमें
कोई
कसर
|
यदि कोई
अकारण
ही
दुर्बल
होता
जा
रहा
हो
और
कारण
समझ
में
नहीं
आये
तो
इस
मंत्र
का
7 बार
जाप
करते
हुए
प्रत्येक
मंत्र
के
बाद
रोगी
पर
फूँक
लगाए
और
यही
रोगी
स्वयं
करता
है
तो
रोगी
खुद
को
फूक
लगाए
इसके
साथ
ही
रोगी
को
हनुमान
जी
के
मंदिर
में
हनुमान
जी
की
प्रतिमा
से
उनके
चरणों
का
सिन्दूर
लाकर
तिलक
भी
करें
| रोगी
किसी
भी
रोग
से
पीड़ित
हो
उसे
स्वास्थ्य
लाभ
अवश्य
मिलेगा
||
2.शाबर मंत्र, नाभि का उखड़ना :
ॐ नमो नाड़ी नाड़ी |
नौ से नाड़ी |
बहत्तर कोठा |
चलै अगाड़ी |
डिगै न कोठा |
चले नाड़ी रक्षा करे यती हनुमन्त कि आन |
शब्द साँचा |
पिंड काँचा |
फुरे मंत्र ईश्वरोवाचा |
आप एक पीला
बाँस
ले
ले
जिसमे
9 गाँठें
हो
| अब
रोगी
को
जमीन
पर
लिटा
दे
और
उसकी
नाभि
के
ऊपर
यह
बाँस
खड़ा
करके
इस
मंत्र
का
जाप
करते
हुए
बाँस
के
छेद
में
जोर
– जोर
से
फूंक
मरते
रहे
इस
प्रकार
करने
से
उखड़ी
हुई
नाभि
तुरंत
ठीक
हो
जाती
है
||
3. शाबर मंत्र, बवासीर का निवारण :
ॐ काका
कता
क्रोरी
कर्ता
|
ॐ
करता
से
होय
|
यरसना
दश
हूंस
प्रकटे
|
खूनी
बादी
बवासीर
न
होय
|
मंत्र
जान
के
न
बताये
|
द्वादश
ब्रह्म
हत्या
का
पाप
होय
|
लाख
जप
करे
तो
उसके
वंश
में
न
होय
|
शब्द
साँचा
|
पिण्ड
काँचा
|
हनुमान
का
मंत्र
साँचा
|
फुरो
मंत्र
ईश्वरोवाचा
रात को पानी
एक
बर्तन
में
रख
दे,
सुबह
होने
पर
उस
पानी
को
ऊपर
दिए
मंत्र
से
21 बार
अभिमंत्रित
करके
गुदा
प्रक्षालन
करें
| ऐसा
करने
से
बवासीर
कैसी
भी
हो
शीघ्र
ही
ठीक
हो
जाती
है
||
4. शाबर मंत्र, मासिक पीड़ा का निवारण :
ॐ नमो
आदेश
मनसा
माता
का
|
बड़ी
– बड़ी
अदरख
|
पतली
पतली
रेश
|
बड़े
विष
के
जल
फाँसी
दे
|
शेष
गुरु
का
वचन
न
जाये
खाली
|
पिया
पंच
मुंड
के
बाम
पद
ठेली
|
विषहरी
राई
की
दुहाई
|
थोड़ी सी अदरख
लेकर
इस
मंत्र
से
सात
बार
फूंककर
मासिक
धर्म
में
होने
वाली
पीड़ाओं
से
ग्रसित
स्त्री
को
खिलाने
से
मासिक
पीड़ा
शांत
हो
जाती
है
||
5. शाबर मंत्र, अनियमित मासिक-धर्म :
ॐ नमो
आदेश
श्री
रामचंद्र
सिंह
गुरु
का
|
तोडूं
गाँठ
ओंगा
ठाली
|
तोड़
दूँ
लाय
|
तोड़
दूँ
सरित
|
परित
देकर
पाय
|
यह
देख
हनुमन्त
दौड़कर
आये
|
अमुक
की
देह
शांति
पाय
|
रोग
कूँ
वीर
भगाये
|
रोग
न
नसै
तो
नरसिंह
की
दुहाई
|
फुरे
हुकुम
खुदाई
|
किसी पान
वाले
से
एक
सादा
पान
बनवा
कर
इस
मंत्र
का
उच्चारण
करते
हुए
सात
बार
इस
पान
को
अभिमंत्रित
कर
ले
| और
इसे
अब
रोगिणी
को
खिला
दे
ऐसा
करने
से
रोगिणी
का
अनियमित
मासिक
धर्म
ठीक
और
नियमित
समय
पर
होने
लगता
है
||
6. शाबर मंत्र, रोग(रोग समझ न आने पर )
निवारण
:-
ॐ नमो
आदेश
गुरु
का
|
काली
कमली
वाला
श्याम
|
उसको
कहते
है
घनश्याम
|
रोग
नाशे
|
शोक
नाशे
|
नहीं
तो
कृष्ण
की
आन
|
राधा
मीरा
मनावे
|
अमुक
का
रोग
जावे
|
जब यह समझ
में
नहीं
आये
की
वास्तव
में
रोगी
किस
रोग
से
पीड़ित
है
तो
इस
मंत्र
का
जाप
करते
हुए
रोगी
को
झाड़ा
दे
| रोगी
को
अवश्य
लाभ
मिलेगा
||
7.शाबर मंत्र, कमर दर्द निवारण :
चलता जाये
|
उछलता
जाये
|
भस्म
करन्ता
|
डह
डह
जाये
|
सिद्ध
गुरु
की
आन
|
महादेव
की
शान
|
शब्द
साँचा
|
पिंड
काँचा
|
फुरो
मंत्र
ईश्वरो
वाचा
|
इस मंत्र
से
रोगी
को
झाड़ा
दे
| इसके
बाद
एक
कला
धागा
लेकर
रोगी
के
सर
से
पाँव
तक
नापकर
अलग
कर
ले
और
इस
मंत्र
को
21 बार
पढ़े
और
हर
मंत्र
के
साथ
जहां
मंत्र
में
फुरो
शब्द
आता
है
वहां
दागे
पर
फूंक
लगते
जाये
| इसके
बाद
इस
दागे
को
रोगी
को
धारण
करवा
दे
| ऐसा
करने
से
रोगी
को
दर्द
से
शीघ्र
मुक्ति
मिल
जाएगी
||
8. शाबर मंत्र, आँख के दर्द का निवारण
:-
ॐ नमो
आदेश
गुरु
का
|
समुद्र
| समुद्र
में
खाई
|
इस
(मरद)
की
आँख
आई
|
पाकै,
फूटे
न
पीड़ा
करे
|
गुरु
गोरख
की
आज्ञा
करें
|
मेरी
भक्ति
|
गुरु
की
शक्ति
|
फुरो
मंत्र
ईश्वरो
वाचा
मंत्र प्रयोग
विधि
:-
नमक
की
सात
डली
लेकर
इस
मंत्र
का
उच्चारण
करते
हुए
सात
बार
झाड़ा
करें
तो
नेत्रों
(आँख)
की
पीड़ा
दूर
हो
जाती
है
( मंत्र
में
“मरद”
की
जगह
आप
रोगी
भी
कह
सकते
है
या
आप
रोगी
का
नाम
भी
ले
सकते
है
||
9. शाबर मंत्र, दांत-दाढ़ के दर्द का उपाय
:-
ॐ नमो
आदेश
गुरु
का
|
बन
में
ब्याई
अञ्जनी
|
जिन
जाया
हनुमंत
|
कीड़ा
मकुड़ा
माकड़ा
|
ये
तीनों
भस्मन्त
|
गुरु
की
शक्ति
|
मेरी
भक्ति
|
फुरे
मंत्र
ईश्वरो
वाचा
|
मंत्र प्रयोग
विधि:
– एक
नीम
की
टहनी
लेकर
दर्द
के
स्थान
पर
छुआते
हुए
इस
मंत्र
को
सात
बार
जपें
| इस
प्रकार
करने
से
रोगी
का
दांत
या
दाढ़
का
दर्द
समाप्त
हो
जायेगा
और
पीड़ित
व्यक्ति
अपने
दर्द
में
आराम
की
अनुभूति
करेगा
|
10. शाबर मंत्र, समस्त रोग निवारण
:-
वन में
बैठी
वानरी
|
अंजनी
जायो
हनुमन्त
|
बाल
डमरू
ब्याही
बिलाई
|
आँख
कि
पीड़ा
|
मस्तक
कि
पीड़ा
|
चौरासी
बाई
|
बलि
बलि
भस्म
हो
जाय
|
पके
न
फूटे
|
पीड़ा
करें
तो
गोरखयती
रक्षा
करें
|
गुरु
कि
शक्ति
|
मेरी
भक्ति
|
फुरे
मंत्र
ईश्वरो
वाचा
|
इस मंत्र
को
108 बार
जाप
करते
हुए
रोगी
को
झाड़ा
देने
से
रोगी
के
समस्त
रोग
नष्ट
हो
जाते
है
|
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