Amavasya Ke Totke Upay | अमावस्या के दिन तंत्र साधना टोटके
अमावस्या के दिन चन्द्रमा अपनी चरम सीमा पर होता है। ऐसा सिर्फ अमावस्या और पूर्णमासी पर ही होता है। आप पाएंगे की जिस दिन चन्द्रमा पूरी तरह गायब होता है उस दिन आप उस चन्द्रमा की रात को अमावस्या की रात कहते हैं। अमावस्या की रात को आप अलग अलग तरीके की घटनाएं पाएंगे जो बाकी दिनों पे नहीं होती हैं – ज़्यादा मशहूर इनमें से हैं की समुद्र की लहरें अमावस्या की रात को सबसे शांत होती हैं, इस दिन लहरें ज़्यादा तेज़ी से उठती नहीं और मछुआरे नौकाएं लेकर इसी दिन सबसे आसानी से मछली पकड़ने निकल पड़ते हैं।
ज्वार भाटा यानी लहर का ऊँचा उठना अमावस्या की रात को सबसे कम होता है। अगर आप ध्यान देंगे तो आप जान पाएंगे की कुत्ते, भेंड़िये आदि जानवर भी अमावस्या को शांत होते हैं और अपनी गहरी, सीने से निकलती आवाज़ में रोने की क्रिया अमावस्या को नहीं करेंगे। जिन लोगों का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और जो लोग पागल कहे जाने लगते हैं वे भी अमावस्या की रात को शांत होते हैं, उन्हें ज़्यादा हरकत में नहीं पाया जाता क्यूंकि वे अमावस्या को वे अपने आपको शांत और मानसिक रूप से कम पीड़ित महसूस करते हैं। इसके पीछे रीज़न दिया जाता है की पुराने ज़माने से समुद्र की लहरें और चन्द्रमा से समीपता जुड़ी हुई है। अगर चन्द्रमा करीब है, तो पूर्णमासी होगी, तो ज्वार भाटा होगा, तो लोगो को मानसिक रूप से ख्यालों पे पकड़ रखनी होगी।
अगर लोग पूर्णमासी के आस पास किसी पागलखाने जाएंगे तो पाएंगे की लोग ज़्यादा हलचल में हैं और पीड़ित है। आप को बस अपना मन खोल के दुनिया देखनी चाहिए, सब कुछ आपके सामने प्रस्तुत होने लगेगा और प्रकृति के नियम अपना पर्दा आपके सामने से हटाने लगेंगे। अमावस्या हिन्दू पंचांग के हिसाब से ३० दिन और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस दिन आकाश में चन्द्रमा न दिखने के साथ ही सारा आकाश अँधेरे से ढका रहता है। इस दिन को ज्योतिष और तांत्रिक शास्त्र में ख़ासा महत्व दिया जाता है। ऐसा माना जाता है की कोई भी तांत्रिक प्रयोग अगर इस दिन किया जाये तो वह खासे तौर पर असरदार होता है। अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष है या फिर कोई गृह की दशा अशुभता प्रदान कर रही है, कोई तीव्रता पूर्ण अशुभ दृष्टि है तो आपको इस रात में किये हुए काम से ख़ासा लाभ होगा और आप सफलता प्राप्त कर पाएंगे इसी रात को।
इस दिन घर में अच्छे से सफाई कर दें, घर के कोने कोने छान कर उनमें ध्यान से डस्टिंग करें की कोई कीड़ा मकौड़ा कहीं अंडे या फिर बच्चे न दे रहा हो, कोई जाला नहीं बना रहा हो, कोई घर नही खोद रहा हो आदि। इस दिन की गयी सफाई का बहुत लाभ होता है, सभी प्रकार का कबाड़ निकाल कर बेंच लें। और यह सब करने के बाद में घर के मंदिर में शुद्ध हो कर धुप और दीप जलाएं, तुलसी का पौधा हो तो उस पर भी धुप और दीप जलाएं। इससे घर में दरिद्रता दूर होती है और आपके यहाँ सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
एक और बात जो ध्यान में रखनी चाहिए वह ये है की अमावस्या के दिन बिल्वा और तुलसी की पत्ती कतई नहीं तोड़नी चाहिए। अगर पूजा के लिए चाहिए हो तब भी नहीं। अगर चाहें तो एक दिन पहले तोड़ कर रख लें और फिर अगले दिन उसका इस्तेमाल करें। अमावस्या की रात को धन प्राप्ति के लिए एक अत्यंत सफल प्रयोग है। जब रात आवे तब आप पीली त्रिकोण आकृति का पताका श्री विष्णु जी की प्रतिमा के ऊपर इस तरह लगाएं की वह सदा लहराता रहे। यह कार्य करने से आपके भाग्य ज़रूर ही उदय होगा और आप सफलता की नयी उचाईयां इस छोटी सी तरकीब के कारण उठा पाएंगे। आप इस झंडे को हमेशा लहराने दें और समय के साथ ज़्यादा दिन हो जाने पर किसी और अमावस्या को इसे बदल भी दें तो और फायदा ही होगा।
एक और सफल तरीक़ा है की आप एक गड्ढा खोदें और अगर आपको किसी सुनसान जगह पर कोई खाली गड्ढा मिल जाये तो उस पर ही, दूध की एक छटाक उस गड्ढे में दाल दें – ध्यान रखें की यह कार्य अमावस्या को ही हो। अगर कोई पहले से खुदा गड्ढा है तो उसमें भी यह कार्य सफल है पर इसे गोपनीय ढंग से ही करें ताकि आपको फायदा अधिक हो और कोई असाधारण सवाल नहीं उठाये। अगला तरीक़ा थोड़ा प्रचलित तो है, मगर इसकी कारगरता पर कोई भी उंगली नहीं उठा सकता क्यूंकि इसके जानने के बावजूद लोग इसका फायदा सही ढंग से नहीं उठा पाते। इसमें करें यूँ की थोड़ी जौ लें, और अमावस्या तक इसे घर में कहीं रखें रहे, अमावस्या की रात को इसे निकल कर इसे दूध से धो दें और फिर इसे बहा दें तो आपका भाग्य उदय हो उठेगा। आपके कार्य में सफलता और समृद्धि ज़रूर आ जाएगी।
अमावस्या के दिन अँधेरा होता है और काला रंग फैला होता है – काला रंग शनि भगवन का प्रतीक होता है, इसलिए आप ऐसा करें की अमावस्या को सरसो तेल, उरद की दाल, काला तिल, काला वस्त्र, लोहे की कोई चीज़ और नीले रंग का फूल लें और शनि देव पर चढ़ा के उनका पौराणिक और प्राचीन मंत्र बोले – “ ओम नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम, छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम “ यह मंत्र लेकर एक माला जप लें, अगर शनि का प्रकोप ज़्यादा है और आप उसे कम करना चाहते हैं तो हकीक की माला पर यह मंत्र जपें। इस मंत्र जाप से शनि के प्रकोप का ही नहीं बल्कि और नवग्रहों के दुर्प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है।
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