काला जादू वशीकरण- उसके मंत्र, प्रयोग और भेद – काला जादू आजकल लोगों को उतना नहीं पता जितना पहले प्रचलित था, आजकल की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में आप शायद ही ठहर के सोचते हैं की किसी चीज़ के होने के पीछे कोई अटपटा कारण तो नहीं। हम बस अपने काम और भोग-विलास में मग्न रहते हैं।
पर प्रशासनिक अधिकारी, नेता, बाबू,और कंपनियों के मालिक इन सब चीज़ों को मानते ही नहीं वे इन सब तरीके के टोटकों और जादुओं की हवा से बचने के लिए ना-ना प्रकार की पूजा और रक्षा व्यवस्थाएं कराते हैं। इन चीज़ों के बारे में सिर्फ कुछ चुनिंदा लोग ही जानते हैं।
पर इससे होने वाले प्रभाव तो हैं ही। चाहे लोग कुछ भी कहें, कुछ कहते हैं की अगर हम यह सब नहीं मानते तो हमारे साथ कुछ नहीं होगा, कुछ कहते हैं की कर भला तो हो भला, पर मनुष्य का इतिहास इस बात का साक्षी है की ऐसा तो कतई नहीं है।
आप अगर शुतुरमुर्ग की तरह कोई खतरा देख कर मिट्टी में गड्ढा कर अपना सर छुपा लेंगे तो आप का उस परिस्थिति पर कोई संतुलन नहीं बनेगा। आप परिस्थिति का शिकार बन जाएंगे। भारत में हर तरीके का काला जादू मिलता है हिन्दू, मुसलमानी, ईसाई आदि।
पहला उदारण है पान के द्वारा किसी को वशीभूत यानी कब्ज़े में कर लेना, इस तरह का टोटका पान खाने वाले इलाके में ज़्यादा होगा यानि हिंदी,बंगाली और उड़िया क्षेत्र में होगा। इसके लिए आप तीन बार पान अपने वंचित प्रेमी को खिलाएं और हर बार यह मंत्र उच्चारित करें, मैं इसे रोमन में लिख रहा हूँ ताकि अंतराष्ट्रीय पाठक जो ट्रांसलेशन पढ़ रहे हैं मंत्र बोल पाएं –
“Shree ram nam rabeli akankbeeri
Suniye naari
Baat hamari
Ek paan sang mangaay
Ek paan saej so lav.n
Mak paan mukh bulaav
Hamko chor aur dekh to tera
Kaleja muhammad veer chakhe”
यह मंत्र हर बार २१ बार बोलें, और आप पाएंगे की आपसे वंचित प्रेमी या प्रेमिका आपको पहले पान के साथ ही प्यार करेगी और अगले हर पान के साथ करीबी बढ़ाएगी।
अगला तरीका है जो आपको मोक्ष की तरफ ले जायेगा, यह बाकी विधियों से अलग है क्योंकि इसमें आप अलौकिक और बहुत ही आध्यात्मिक कार्य कर रहे हैं। यह श्री गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्री राम स्तुति है जो की अत्रि मुनि ने की थी, इसे आप हनुमान जी या राम जी की प्रतिमा या मूर्ति के सामने पढ़ कर पूरा लाभ उठाएं, यह स्तुति पंडितों और धर्म-ग्रंथों में प्रचलित है –
“नमामि भक्त वत्सलं कृपालु शील कोमलम्,भजामि ते पदाम्बुजं अकामिनां स्व-धामदम्,निकाम श्याम सुन्दरं भवाम्बु नाथ मन्दरम्,प्रफुल्ल कंज लोचनं मदादि दोष मोचनम्,प्रलम्ब बाहु विक्रमं प्रभो,प्रमेय वैभवम्,निषंग चाप सायकं धरं त्रिलोक नायकम्,दिनेश वंश मण्डनम् महेश-चाप खण्डनम्,मुनीन्द्र सन्त रंजनम् सुरारि वृन्द भंजनम्,मनोज वैरि वन्दितं अजादि देव सेवितम्,विशुद्ध बोध विग्रहं समस्त दूषणापहम्,नमामि इन्दिरा पतिं सुखाकरं सतां गतिम्,भजे स-शक्ति सानुजं शची पति प्रियानुजम्,त्वदंघ्रि मूलं ये नरा: भजन्ति हीन मत्सरा:,पतन्ति नो भवार्णवे वितर्क वीचि संकुले,विविक्त वासिन: सदा भजन्ति मुक्तये मुदा,निरस्य इन्द्रियादिकं प्रयान्ति ते गतिं स्वकम्,तमेकमद्भुतं प्रभुं निरीहमीश्वरं विभुम्,जगद्-गुरूं च शाश्वतं तुरीयमेव केवलम्,भजामि भाव वल्लभं कु-योगिनां सु-दुलर्भम्,स्वभक्त कल्प पादपं समं सु-सेव्यमन्हवम्,अनूप रूप भूपतिं नतोऽहमुर्विजा पतिम्,प्रसीद मे नमामि ते पदाब्ज भक्तिं देहि मे,पठन्ति से स्तवं इदं नराऽऽदरेण ते पदम्,व्रजन्ति नात्र संशयं त्वदीय भक्ति संयुता:”
अगला तरीका है जब आपका कोई कार्य रुका हुआ हो और आप उस विघ्न को हटाना चाहते हों, आप गणेश चतुर्थी के दिन उनकी ऐसी मूर्ति लाएं जिसमें उनकी सूंड़ दांयी ओर मुड़ी हुई हो, आप इसकी पूजा-अर्चना करें और इस प्रतिमा या मूर्ति को धूप-दीप दिखाएं, फिर इसके सामने १०० ग्राम या २५० ग्राम लौंग और उतनी ही सुपारी रखें। अब आपको जब भी घर से बाहर ज़रूरी काम पर जाना हो, और बाधा-मुक्त होना हो, आप एक लौंग और सुपारी ले जाएं।
एक मंत्र है की –
“Udasau sooryau agadudid.n mamkam vachah
Yathaham kshatruasanyaspatnaah saptnaha
Saptankshayano vrishbhirashtro vish sahih
Yathohbhesham viranam virajaani janasy cha”
इस मंत्र का अर्थ है की आकाश में सूर्य और मेरा सूर्य दोनों ऊपर चले गए हैं, ताकि मैं राष्ट्र के लिए कार्य कर पाऊं, क्षत्रुओं का नाश कर पाऊं और उन्हें अपने कब्ज़े में कर पाऊं।
इस मंत्र को हर रविवार, २१ रविवार तक लाल फूल से अर्घ देकर पढ़ें, और अर्घ में जल दिया जाता है जिसमें से जो जल बच जाये उसे अपने शरीर के दांयें भाग पर स्पर्शित कराएं। आप अपने कार्य में विजयी होंगे।
अगर आप घर बनवाने की कोशिश कर रहे हैं और इसमें असफलता प्राप्त करते जा रहे हैं तो रविवार के दिन गाय को गुड़ खिलाएं और शुक्रवार के दिन किसी गरीब को खाना खिलाएं, इसके साथ सवेरे नहाने के बाद मंत्र बोलें की –
Om padyavati padya kushi vajranpushi pratib bhav.n.ti bhav.n.ti
किसी अच्छे काम के लिए जाते वक़्त यह करें की अगर उस दिन रविवार है तो पान का एक पत्ता जेब में रख लें, अगर सोमवार हो तो शीशे में अपनी शक्ल देख लें, अगर मंगल हो तो कुछ मीठे का भोग लगा लें, अगर बुध हो तो एक पत्ता धनिया खा लें, अगर बृहस्पति हो तो काले सरसों के कुछ दाने फांक कर निकलें, अगर शुक्र हो तो थोड़ा सा दही खा लें और फिर ही चलें और अगर शनिवार हो तो थोड़ी अदरख और एक छटाक घी खा लें।
अगर आपके घर में बीमारी से परेशान है और छोटी-मोटी दवाईयों से असर नहीं हो रहा तो अगले तीन दिन तक रोज़ उसके सर के ऊपर से एक पेड़ा गेहूं का आंटा और एक लोटा पानी फेर लें, अगर तीन दिन के अंदर ही तबियत ठीक होने लगे तब भी यह कार्य तीनो दिन करें, पानी को किसी पेंड़ में डाल दें और गेंहूँ के पेड़े को किसी गाय को खिला दें।
किसी दरगाह या कब्र पर सूरज ढलने के बाद दीपक जलाएं।अगरबत्ती जलाएं और वहां पर मीठे बताशे रख दें। इसके बाद बिना वापस मुड़े वहां से सीधा घर चले आएं। घर में कोई अगर बीमार है तो उसकी तबियत ठीक होने लगेगी।
इस तरह मैंने आपके समक्ष व्यावहारिक टोने-टोटके रखे हैं जिनसे आप काला-जादू कर के अपनी ज़िन्दगी में अकिस्मत होने पर भी बदलाव ला सकते हैं, मैंने आपको मोक्षदायी तुलसीदास कृत मंत्र दिया।
बीमार लोगों के लिए दो टोटके दिए और विघ्न हटाने के तरीके और अशुभ परिस्थितियों से बचाव की विधि बताई, इनसे आप काला-जादू करते काम हैं और काले-जादू से बचते ज़्यादा हैं, जो की इस विषय के तरफ सही रुख है।
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