Navgrah Mantra Hindi
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी नवग्रह (सूर्य ,शनि ,शुक्र, ब्रहस्पति ,चंद्रमा, बुध ,मंगल ,राहू और केतु ) जातक की कुंडली में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव दिखाते है | यह निर्भर करता है जातक की लग्न कुंडली में कि कौन सा गृह कौन से भाव में बैठा है | कुंडली में नकारात्मक प्रभाव देने वाले ग्रहों को ही गृहदोष की श्रेणी में रखा जाता है व समय रहते इनके उपाय भी किये जाते है |
जातक की लग्न कुंडली में एक गृह से लेकर 7 ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव एकसाथ हो सकते है सभी के सभी 9 ग्रहों का ख़राब होना इसकी सम्भावना न के बराबर ही होती है | जातक की कुंडली में गृह दोष उन्हें शारीरिक, मानसिक और आर्थिक सभी प्रकार से कष्ट देते है | नवग्रह शांति की पाठ-पूजा का विधान काफी लम्बा है इसलिए किसी विद्वान् पंडित द्वारा ही नवग्रह
पूजा संपन्न की जानी चाहिए |
ग्रहों के अनुसार उनकी शांति हेतु मंत्र जप :-
सूर्य दोष :-
सूर्य गृह उर्जा का प्रतीक है और साथ ही यह जातक को समाज में मान-सम्मान और यश की प्राप्ति कराता है | जिस जातक की कुंडली में सूर्य गृह सही स्थिति में बैठा हो उसका शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है | ऐसा व्यक्ति शरीर से हष्ट-पुष्ट और बलवान होता है | इसके विपरीत जिस जातक की कुंडली में सूर्यदोष हो वह सदा बीमारी से परेशान रहता है | ऐसा संभव है कि ऐसा व्यक्ति किसी असाध्य रोग की गिरफ्त में आ जाये | सूर्य गृह का नकारात्मक प्रभाव आपकी नौकरी में भी अड़चन का कारण बन सकता है |
सूर्य दोष की शांति के लिए आप प्रतिदिन इस मंत्र का जप करें : ऊॅं सूं सूर्याय नमः
प्रतिदिन सुबह स्नान आदि करके पूजा के समय सूर्यदेव के उपरोक्त मंत्र के यथासंभव जप करें | शीघ्र ही इसके परिणाम आपको दिखाई देने लग जायेंगे |
चन्द्र दोष :-
हिन्दू धरम में चन्द्रमा को चन्द्र देव कहा गया है | चन्द्र देव को सोम के नाम भी पुकारा जाता है | लग्न कुंडली में चन्द्र दोष होने पर जातक पेट संबंधी रोगों से परेशान रहता है और मानसिक व्याधियां भी होने की सम्भावना बढ़ जाती है | ऐसे जातक के बिना वजह ही शत्रु बनने लग जाते है | व्यापार में धन की हानि होने लगती है |
चन्द्र दोष शांति हेतु इस मंत्र का जप करें : – ऊॅं सों सोमाय नमः
मंगल दोष :-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल गृह को विनाशकारी माना गया है | कुंडली में मंगल गृह के नीच स्थान में होने पर मांगलिक दोष होता है | लग्न कुंडली में 1 ,4, 7, 8, और 12 वे भाव के से किसी भी स्थान पर मंगल गृह होने पर मांगलिक दोष बनता है | जिसका सीधा प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन पर और संतान संबंधी सुख पर पड़ता है |
कुंडली में मांगलिक दोष निवारण के लिए आप इस मंत्र के नियमित जप करें : –ॐ भौं भौमाय नमः
उपरोक्त मंत्र के पूजा के समय यथासंभव मंत्र जप करने चाहिए | हनुमान जी आराधना से भी मंगल दोष शांत होता है | इसलिए पूर्ण भक्ति भाव और निष्ठापूर्वक हनुमान जी आराधना मांगलिक दोष से होने वाले दुष्प्रभावों को रोकती है |
बुध गृह दोष :-
आपकी कुंडली में बुध गृह का अशुभ प्रभाव आपको व्यापार , दलाली और नौकरी में हानि पहुँचा सकता है | बोलने की शक्ति में तुतलाहट आना बुध गृह का नीच भाव में आने के कारण ही होता है | बुध गृह के अशुभ प्रभाव दोस्तों से मित्रता में खटास का कारण बन सकते है | यहाँ तक की आपकी बहन , बुआ या मौसी का किसी भारी मुशीबत में आना बुध गृह के नीच भाव में होने के कारण ही होता है |
बुध गृह दोष निवारण के लिए आप इस मंत्र का जप करें :- ॐ बुं बुधाय नमः
उपरोक्त मंत्र के जप करने के अतिरिक्त बुध गृह दोष होने पर माँ दुर्गा की पूजा-आराधना करना विशेष रूप से लाभप्रद माना गया है |
गुरु गृह दोष : –
सामान्यतः गुरु गृह शुभ फल ही देता है किन्तु यदि गुरु गृह किसी पापी गृह के साथ विराजमान हो जाये तो कभी कभी अशुभ संकेत भी देने लगता है | गुरु दोष होने पर जातक विवाह व अपने भाग्य से संबधी परेशानियों का सामना करता है | कुंडली में गुरु दोष शारीरिक , मानसिक व आर्थिक सभी प्रकार से कष्ट देता है |
कुंडली में गुरु दोष निवारण हेतु इस मंत्र का जप करें :- ॐ बृं बृहस्पतये नमः
ब्रहस्पति गृह के इस मंत्र के प्रत्येक गुरुवार के दिन सुबह-सुबह पूजा के समय 108 मंत्र जप करने चाहिए |
शुक्र गृह दोष :-
शुक्र गृह को पति-पत्नी , प्रेम संबंध, एश्वर्य और आनंद आदि का कारक गृह माना गया है | जिस जातक की कुंडली में शुक्र गृह की स्थिति अच्छी हो वह अपना सम्पूर्ण जीवन प्रेम , एश्वर्य और आनंद से बिताता है | ऐसे जातक का दाम्पत्य जीवन भी प्रेम व आनंद से परिपूर्ण रहता है | कुंडली में शुक्र गृह के कमजोर होने पर जातक मूत्र संबंधी विकार , नेत्र रोग , गुप्तेन्द्रिय , सुजाक , रक्त प्रदर, प्रमेह और पांडू रोग से पीड़ित हो सकता है | शुक्र गृह की कमजोर स्थिति आपके वैवाहिक जीवन में कलह का कारण बन सकती है |
शुक्र गृह दोष होने पर इसके अशुभ प्रभावों को कम करने हेतु इस मंत्र का जप करना चाहिए : –ऊँ शुं शुक्राय नम:
उपरोक्त मंत्र के प्रतिदिन कम से कम 108 जप करें और साथ ही शुक्रवार के दिन 5 कन्याओं को खीर खिलाये और बाद में स्वयं भी खाएं |
शनि गृह दोष :-
शनि गृह जिसे शनिदेव भी कहा गया है | हिन्दू धर्म में शनिदेव आपके द्वारा किये गये कर्मो का फल प्रदान करने वाले है | जातक की कुंडली में शनि की क्रूर द्रष्टि(शनि दोष ) उसके सम्पूर्ण जीवन को तहस-नहस कर सकती है | यहाँ तक की लग्न कुंडली के पहले भाव में शनि का होना जातक की मृत्यु का कारण भी बन सकता है | अक्सर देखा गया है कि शनि की साढ़े साती व ढैय्या से प्रभावित जातक जीवन से इतना परेशान हो जाता है कि उसे शनि शांति हेतु किसी विद्वान् पंडित से पूजा-पाठ भी कराने पड़ जाते है |
शनि दोष की शांति के लिए आप शनिवार के दिन मंदिर जाए और शनिदेव को सरसों का तेल , काले तिल और रेवड़ी का प्रसाद चढ़ाये व इस मंत्र का 108 बार जप करें :- ॐ शं शनैश्चराय नमः
राहू-केतू गृह दोष :-
राहू -केतू ग्रहों को छाया गृह कहा गया है | ज्योतिष शास्त्र में राहू केतू को पापी गृह की श्रेणी में रखा गया है | इन दोनों ग्रहों का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है ये दोनों गृह जिस भी गृह के साथ आ जाते है उसी के दोषों के अनुसार अपना प्रभाव दिखाने लगते है | जातक की लग्न कुंडली में राहू केतू की महादशा होने पर जातक जीवन भर मुशिबतों का सामना करता है | ऐसी स्थिति में जातक को अतिशीघ्र किसी विद्वान् पंडित से राहू केतू दोष के निवारण हेतु पूजा-पाठ अवश्य करानी चाहिए |
राहू गृह के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए इस मंत्र का नियमित जप करें : – ॐ रां राहवे नमः
केतू गृह के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए इस मंत्र का जप करना चाहिए : –ॐ कें केतवे नमः
No comments:
Post a Comment