Monday, June 24, 2019

Durbhagy ko dur karane ke kuch karagar totake | दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के उपाय

दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के उपाय.













1. दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के उपाय....

सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले इस को करना है। एक रोटी लें। इस रोटी को अपने ऊपर से 31 बार ऊवार लें। बाद में यह रोटी कुत्ते को खिला दें अथवा बहते पानी में बहा दें।

2. दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के उपाय......

कोई भी शुभ कार्य, चाहे वह नौकरी के लिए साक्षात्कार हो या व्यवसाय से संबंधित, फिर कुछ और कार्य, करने से पूर्व हफ्ते के अलग-अलग दिनों में निम्नलिखित उपाय फलदायी होते है। रविवार को पान का पत्ता अपने साथ लेकर जायें।

3. दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के उपाय.....

सोमवार को दर्पण में अपना चेहरा देखकर जायें। मंगलवार को मिष्ठान्न, गुड़, चीनी, मिठाई आदि खाकर जायें। गुरुवार को सरसों के कुछ दाने मुख में डालकर जायें। शुक्रवार को दही खाकर जाना चाहिये। शनिवार को अदरक और घी खाकर जाना चाहिये। बुधवार के दिन हरे धनिये के पत्ते खाकर जाना लाभदायक रहता है।

4. दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के उपाय.....
हर इंसान अपने दुर्भाग्य से पीछा छुड़ाना चाहता है। लेकिन दुर्भाग्य से पीछा छुड़ाना इतना आसान नहीं होता क्योंकि जब समय बुरा होता है तो साया भी साथ छोड़ देता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका दुर्भाग्य, सौभाग्य में बदल जाए तो नीचे लिखे उपाय करें। यह उपाय आपके दुर्भाग्य कौ सौभाग्य में बदल देंगे।

उपाय—

1- बरगद(बड़) के पत्ते को गुरु पुष्य या रवि पुष्य योग में लाकर उस पर हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।

2- घर के मुख्य द्वार के ऊपर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा अथवा चित्र इस प्रकार लगाएं कि उनका मुख घर के अंदर की ओर रहे। उस पर सुबह दूर्वा अवश्य अर्पित करें।

3- धन संबंधी कार्य सोमवार एवं बुधवार को करें।
4- नए कार्य, व्यवसाय, नौकरी, रोजगार आदि शुभ कार्यों के लिए जाते समय घर की कोई महिला एक मुठ्ठी काले उड़द उस व्यक्ति
के ऊपर से उतार कर भूमि पर छोड़ दे तो हर कार्य में सफलता मिलेगी।
5- गरीब, असहाय, रोगी व किन्नरों की सहायता दान स्वरूप अवश्य करें। यदि संभव हो तो किन्नरों को दिए पैसे में से एक सिक्का वापस लेकर अपने कैश बॉक्स या लॉकर में रखें। इससे बहुत लाभ होगा।
6- काली हल्दी की एक गांठ शुभ मुहूर्त में प्राप्त कर अपने घर में, व्यवसायी अपने कैश बॉक्स में तथा व्यापारी अपने गल्ले में रखें।
7- रवि पुष्य नक्षत्र के शुभ मुहूर्त में बहेड़े की जड़ या एक पत्ता तथा शंखपुष्पी की जड़ लाकर घर में रखें। चांदी की डिब्बी में रखें तो और भी शुभ रहेगा।


उपाय और टोटके ..


यदि पति-पत्नी के संबंध तलाक तक पहुंच गए हों.....

बरगद का हरा पत्ता लेकर उस पर लाल चंदन को गंगा जल में घिसकर संबंधित व्यक्ति का नाम लिखें। इसके बाद पत्ते पर लाल गुलाब की पत्तियां रख दें और इन सबको बारीक पीस लें। जिस व्यक्ति का नाम लिखा है, उसके नाम में जितने अक्षर हैं, इस बारीक बुरादे की उतनी ही गोलियां बना लें। रोजाना एक गोली नियम से उस व्यक्ति/ महिला के घर के मेन गेट पर फेंक दें। जल्दी ही दोनों के बीच विछोह दूर होकर आपसी संबंध अनुकूल होंगे तथा वापिस मिलन होगा।

किस्मत बदलने के उपाय और टोटके ....


अपनी किस्मत बदले : कभी कभी न चाहते हुए भी हमे जीवन में बहुत ही संघर्ष करना पड़ जाता है. आपकी किस्मत आपका बिलकुल भी साथ नही देती और दुर्भाग्य आपका निरंतर पीछा करता रहता है.

अगर आपकी किस्मत आपसे रूठी हुई है और आपको आपकी नौकरी, आपके लक्ष्य, आपके कारोबार इत्यादि में परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है

तो आपको इन परेशानियों के उपाय के लिए ज्योतिष शास्त्र की मदद लेनी चाहिए क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में आपकी हर तरह की समस्या का समाधान मिलता है.

यहाँ तक कि आप अपने बिगड़े भाग्य को भी ज्योतिष शास्त्र के जरिये सुधार सकते हो. इसके लिए आपको नीचे दिए उपायों को अपनाना होगा,

अगर आप इन उपायों का अनुसरण पूरी श्रध्दा के साथ करते हो तो आपकी किस्मत जरुर बदलेगी और आप भी अपने जीवन में सफलताओ को अर्जित करेंगे.

- आप सुबह जल्दी उठे और जल्दी से स्नान करके भगवान सूर्य देव की पूजा कीजिये, उन्हें नमन कीजिये. साथ ही आप एक ताम्बे के पात्र में फूलो के साथ सूर्य देव को तीन बार जल अर्पित करे.

ऐसा करने से आपके मन को शांति मिलती है और आपका स्वभाव भी बदलता है. जिससे आप अपने लक्ष्य के प्रति अगर्सर होते हो और अपनी किस्मत को बदलने में सफल होते हो.

- अपनी किस्मत को बदलने के लिए आप केले के पत्ते पर 1 निम्बू, 7 मिर्च, 7 लड्डू, 2 बत्ती, 2 लोंग, 2 बड़ी इलायची रख ले और फिर आप उसे रात को 12 बजे किसी चौराहे पर रख आये, साथ ही आप प्रार्थना करे

कि आपकी किस्मत जल्दी ही बदल जाए. आप एक बात का और ध्यान रखे कि आप जब भी घर से भर निकले तब आप ये प्रार्थना करे कि हे दुर्भाग्य, संकट, विपत्ति आप मेरे साथ चौराहे पर चले,

तब आप उस पत्ते को रखने जाए. जब आप पत्ते को रख दो तो आप पत्ते की तरफ हाथ जोड़ कर कहे कि आप उनसे विदा ले रहे हो. उनसे कहे कि अब वे आपके साथ न आये. इस उपाय को आप पुरे मन से करे. आपकी किस्मत शीघ्र ही बदलने लागगी.

- आप सरसों के तेल में गेहूं के आटे को सेक ले, साथ ही आप पुराने गुड से 7 पुये भी बना ले, उनके साह आप 7 आक के फूल, सिंदूर को रखा ले. इसके बाद आप रुई से बत्ती बना ले और उसे सरसों के तेल में भिगो कर उसे मिटटी के दीपक में रख लें.

अब आप इन सब चीजो को एक पत्तल पर रख ले और शनिवार के दिन किसी चौराहे पर रख आये. आप ईश्वर से प्रार्थना करे कि वे आपका साथ दें और जल्दी ही आपके दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करे.

- अपनी किस्मत में परिवर्तन लाने के लिए एक टोटका आप ये भी अपना सकते है कि आप 3 पके हुए निम्बुओ को लें और उनमे से एक को आप नीले रंग से, दुसरे को आप काले रंग से और तीसरे को आप लाल रंग से रंग दे,

फिर आप इन तीनो निम्बूओ में एक एक साबुत लौंग को गाड दे. अब आप तीन मोती चूर के लड्डू और उनके साथ तीन लाल पीले फूलो को ले कर, इन सब को एक रुमाल में बाँध ले.

फिर आप इस रुमाल को अपने सिर के ऊपर से 7 बार घुमा कर किसी बहती नदी के पानी में प्रवाहित कर दे. आप इस बात का ध्यान जरुर दे कि जब आप इसे जल में प्रवाहित कर रहे हो तो उस समय आपके पास कोई व्यक्ति खड़ा न हो.

- अपनी बंद किस्मत को खोलने के लिए आप किसी शुक्रवार के दिन किसी ताले वाले की दूकान में जाए और आप उनसे एक नया ताला मांगे. लेकिन ध्यान रहे कि ताला खुला न हो.

अगर ताले वाला आपके ताले को जांचने के खोले तो आप उसे भी ताला खोलने के लिए मना कर दे, साथ ही आप भी उस ताले को न खोले. आप उस बंद ताले को अपने घर ले आये.

आप इस ताले को शुक्रवार की रात अपने शयनकक्ष में रख ले और शनिवार की सुबह जल्दी उठ कर स्नान करे और उस ताले को मंदिर में या किसी धार्मिक स्थल पर रख आये. आप इस उपाय को पुरे मन से करे और परमेश्वर पर विश्वास रखे.

जब भी कोई व्यक्ति इस ताले को खोलेगा तो इसके खुलने के साथ ही आपकी किस्मत का ताला भी खुल जायेगा.

sidh totke | उपायों / टोटकों द्वारा पायें सिद्ध

उपायों / टोटकों द्वारा पायें सिद्ध

इन उपायों / टोटकों द्वारा पायें अक्षय  तृतीया  पर सुख-वैभव-समृद्धि —-
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। अक्षय तृतीया का शाब्दिक अर्थ है कि जिस तिथि का कभी क्षय न हो अथवा कभी नाश न हो, जो अविनाशी हो।अक्षय तृतीया का पर्व ग्रीष्म ऋतृ में पड़ता है, इसलिए इस पर्व पर ऐसी वस्तुओं का दान करना चाहिए। जो गर्मी में उपयोगी एंव राहत प्रदान करने वाली हो।
  अक्षय तृतीया पर कुंभ का पूजन व दान अक्षय फल प्रदान करता है। धर्मशास्त्र की मान्यता अनुसार यदि इस दिन नक्षत्र व योग का शुभ संयोग भी बन रहा हो तो इसके महत्व में और वृद्घि होती हैं। इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र व सौभाग्य योग के साथ आ रही आखातीज पर दिया गया कुंभ का दान भाग्योदय कारक होगा।
इस दिन दान एंव उपवास करने हजार गुना फल मिलता है। अक्षय तृतीया के दिन महालक्ष्मी की साधना विशेष लाभकारी एंव फलदायक सिद्ध होती है।
 वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया की अधिष्ठात्री देवी माता गौरी है। उनकी साक्षी में किया गया धर्म-कर्म व दिया गया दान अक्षय हो जाता है, इसलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा गया है। आखातीज अबूझ मुहूर्त मानी गई है। अक्षय तृतीया से समस्त मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते है। हालांकि मेष राशि के सूर्य में धार्मिक कार्य आरंभ माने जाते है, लेकिन शास्त्रीय मान्यता अनुसार सूर्य की प्रबलता व शुक्ल पक्ष की उपस्थिति में मांगलिक कार्य करना अतिश्रेष्ठ हैं।

क्या करें अक्षय तृतीया का दिन–????
पंडित के अनुसार 
—– इस दिन समुद्र या गंगा स्नान करना चाहिए।
—–प्रातः पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए।
—–ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
—– इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।
—–आज के दिन नवीन वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना चाहिए।
—– नवीन स्थान, संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन भी आज ही करना चाहिए।

शास्त्रों में अक्षय तृतीया का वर्णन/ जानकारी —–
 —— इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है।
—–इसी दिन श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं।
—- नर-नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था।
—- श्री परशुरामजी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था।
—– हयग्रीव का अवतार भी इसी दिन हुआ था।
—-वृंदावन के श्री बाँकेबिहारीजी के मंदिर में केवल इसी दिन श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते हैं अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से ढँके रहते हैं।
——भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है। 
——भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था। 
——ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था।  हैं।
 
अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है।
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यदि आपकी जन्म कुंडली में स्थित ग्रह आपके ऊपर अशुभ प्रभाव डाल रहे हैं तो इसके लिए उपाय भी अक्षय तृतीया से प्रारंभ किया जा सकता है।
 उपाय—— 
अक्षय तृतीया के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निपट कर तांबे के बर्तन में शुद्ध जल लेकर भगवान सूर्य को पूर्व की ओर मुख करके चढ़ाएं तथा इस मंत्र का जप करें-
 “”ऊँ भास्कराय विग्रहे महातेजाय धीमहि, तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।””
 प्रत्येक दिन सात बार इस प्रक्रिया को दोहराएं। आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपका भाग्य चमक उठेगा। यदि यह उपाय सूर्योदय के एक घंटे के भीतर किया जाए तो और भी शीघ्र फल देता है।
तंत्र शास्त्र के अंतर्गत अनेक समस्याओं का समाधान निहित है। यह साधारण तंत्र उपाय जल्दी ही परिणाम देते हैं। यदि आपकी कोई परेशानी या जिज्ञासा हो तो आप हमें बताएं। आप अपनी परेशानी हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पोस्ट करें। हम आपकी परेशानियों का समाधान बताने का प्रयत्न करेंगे।
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पंडित के अनुसार अधिकांश माता-पिता और युवाओं की एक महत्वपूर्ण समस्या है सही समय पर विवाह। आधुनिकता की दौड़ में युवा अपने कैरियर को लेकर इतने व्यस्त रहते हैं कि उनकी शादी की सही आयु कब निकल जाती है उन्हें पता भी नहीं चलता। ऐसे में कई लोगों के लिए विवाह होना और मुश्किल हो जाता है। 
 
हम यहां एक अचूक प्रयोग बता रहे हैं जिससे अविवाहित युवाओं की विवाह संबंधी समस्या का त्वरित 
निराकरण हो जाएगा।
यह प्रयोग लड़के और लड़कियों दोनों द्वारा किया जा सकता है।

प्रयोग की विधि– इस प्रयोग को अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए। 
– यह प्रयोग रात के समय किया जाना चाहिए।
– इसके लिए आप एक बाजोट / पटिये पर पीला कपड़ा बिछाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख करके उस बैठ जाएं।
– मां पार्वती का चित्र अपने सामने रखें।
– अपने सामने बाजोट पर एक मुट्ठी गेहूं की ढेरी रखें।
– गेहूं पर एक विवाह बाधा निवारण यंत्र  स्थापित करें और चंदन या केसर से तिलक करें।
उक्त पूरी प्रक्रिया ठीक से होने के बाद हल्दी माला से निम्न मंत्र का जप करें:

लड़कों के लिए मंत्र—— 
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोदभवाम्।।
 लड़कियों के लिए मंत्र—— 
“”ऊँ गं घ्रौ गं शीघ्र विवाह सिद्धये गौर्यै फट्।””  
उक्त मंत्र को चार दिनों तक नित्य 3-3 माला का जप करें। अंतिम दिन इस सामग्री को देवी पार्वती के चरणों में किसी भी मंदिर में छोड़ आएं। शीघ्र ही आपका विवाह हो जाएगा।यह प्रयोग पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करें। यह सिद्ध प्रयोग है अत: मन में कोई संदेह ना लाएं। अन्यथा उपाय का प्रभाव समाप्त हो जाएगा।
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पंडित के अनुसार  तंत्र का उपयोग पहले जनकल्याण के लिए किया जाता था लेकिन समय के साथ इसका उपयोग स्वार्थ सिद्धि के लिए किया जाने लगा। कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए तंत्र के माध्यम से लोगों को परेशान करते हैं। यदि आप भी दुश्मनों के तांत्रिक प्रयोगों से पीडि़त रहते हैं तो अक्षय तृतीया के दिन यह साधना आपके लिए उपयोगी रहेगी। 

सर्वप्रथम मूंगा हनुमान (मूंगे से निर्मित हनुमान प्रतिमा) की स्थापना अपने घर के एकांत कक्ष में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर करें। उनका यथाविधि पूजन करें और उन पर सिंदूर चढ़ाएं, तदुपरांत इस मंत्र का यथासंभव जप करें—
 मंत्र— 
“”ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय, पर यंत्र-मंत्र-तंत्र-त्राटक-नाशकाय, सर्व-ज्वरच्छेदकाय, सर्व-व्याधि-निकृन्तकाय, सर्व-भय-प्रशमनाय, सर्वदुष्ट-मुख-स्तम्भनाय, देव-दानव-यक्ष-राक्षस-भूत-प्रेत-पिशाच-डाकिनी-शाकिनी-दुष्टग्रह-बन्धनाय, सर्व-कार्य-सिद्धि-प्रदाय रामदूताय स्वाहा।””
 अक्षय तृतीया के बाद मूंगा हनुमानजी की प्रतिमा को अपने पूजा स्थान में स्थापित करें और प्रत्येक दिन उनका धूप-दीप से पूजन करें तथा इस मंत्र का कम से कम 11 बार जप करें।
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अगर किया हो किसी ने बिजनेस पर टोटका तो यह करें उपाय—–
पंडित के अनुसार व्यापार-व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा भी होती है लेकिन कुछ लोग तंत्र का प्रयोग कर दूसरे की दुकान या व्यवसाय को बांध देते हैं जिसके कारण चलता हुआ बिजनेस भी ठप्प हो जाता है। यदि किसी ने आपके व्यापार-व्यवसाय पर भी तांत्रिक प्रयोग कर दिया हो तो इस साधना से उस तांत्रिक प्रयोग को काटा जा सकता है। 
 इस उपाय से व्यापार फिर से उन्नति करने लगेगा। यह उपाय अक्षय तृतीया को करें तो और भी अधिक शुभ फल प्रदान करता है।
 उपाय—–
1 दिव्य शंख, 11 लक्ष्मीकारक कौडिय़ां एवं सात गोमती चक्र, 108 काली मिर्च, 108 लौंग एवं थोड़ी सी सरसों (लगभग 100 ग्राम) को पीसकर रख लें। शाम को लकड़ी के पटरे पर या बैत कि चौकि पर एक काला कपड़ा बिछाकर किसी कटोरी में इस मिश्रण को भरकर स्थापित कर लें। अब सरसों के तेल का दीपक जलाकर इस कटोरी को भीतर रख दें।  फिर दक्षिण की तरफ मुंह करके बैठें एवं नीचे लिखे मंत्र की 3 या 7 माला जप करें।
मंत्र—ऊँ दक्षिण भैरवाय भूत-प्रेत बंध तंत्र बंध निग्रहनी सर्व शत्रु संहारणी सर्व कार्य सिद्धि कुरु-कुरु फट् स्वाहा
अगले दिन थोड़ा सा मिश्रण कटोरी में से निकालकर दुकान के सामने बिखेर दें। 
इस प्रयोग द्वारा आप किसी भी प्रकार के तंत्र बंधन को काट सकते हैं।
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अक्षय तृतीया: इस टोटके से कभी न होगी पैसे की कमी—-
पंडित के अनुसार अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में यदि कोई टोटका किया जाए तो वह बहुत शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है और शुभ फल मिलने लगते हैं।  इस अवसर पर नीचे लिखे टोटके को पूरे विधि-विधान से किया तो जीवन में कभी पैसे की कमी नहीं रहती। यह अत्यंत सफल, प्रभावी और तेजस्वी टोटका है।
 टोटका—–
अक्षय तृतीया की रात को साधक शुद्धता के साथ स्नान कर पीली धोती धारण करे और एक आसन पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं तथा सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें जो विष्णु मंत्र से सिद्ध हो और स्फटिक माला से निम्न मंत्र का 21 माला जप करें। मंत्र जप के बीच उठे नहीं, चाहे घुंघरुओं की आवाज सुनाई दे या साक्षात लक्ष्मी ही दिखाई दे।
 मंत्र—ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं फट्
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क्या करें अक्षय तृतीया पर : —-
जल से भरे कुंभ को मंदिर में दान करने से ब्रह्मा, विष्णु व महेश की कृपा प्राप्त होती है। वहीं कुंभ का पंचोपचार पूजन व तिल-फल आदि से परिपूर्ण कर वैदिक ब्राह्मण को दान देने से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है। ऐसा करने से पितृ तृप्त होकर अशीर्वाद प्रदान करते हैं।
वैकुंठ पाने के लिए करें उपाय——-
वैशाख मास माधव का माह है। शुक्ल पक्ष विष्णु से संबंध रखता है। रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ है। धर्मशास्त्र के अनुसार ऐसे उत्तम योग में अक्षय तृतीया पर प्रातःकाल शुद्घ होकर चंदन व सुगंधित द्रव्यों से श्रीकृष्ण का पूजन करने से वैकुंठ की प्राप्ति होती है।
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अक्षय तृतीया के दिन की गई साधना व पूजा का फल कभी कम नहीं होता इसलिए इसे बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। अगर आप चाहते हैं कि आपको दुनिया का हर सुख मिले तो अक्षय तृतीया को यह टोटका करें—–
टोटका—
अपने सामने सात गोमती चक्र और महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें और सात तेल के दीपक लगाएं। यह सब एक ही थाली में करें और यह थाली अपने सामने रखें और शंख माला से इस मंत्र की 51 माला जप करें-
 मंत्र—— हुं हुं हुं श्रीं श्रीं ब्रं ब्रं फट्
अक्षय तृतीया के दिन इस प्रकार साधना करने से सभी सुख प्राप्त होते हैं।
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 लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अक्षय तृतीया पर किया गया यह उपाय किसी चमत्कार से कम नहीं है। स्फटिक के श्रीयंत्र को पंचोपचार पूजन द्वारा विधिवत स्थापित करें। माता लक्ष्मी का ध्यान करें, श्रीसूक्त का पाठ करें।
जितना संभव हो सके, मंत्र ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नयै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात् का कमलगट्टे की माला से नियमित जप करें। नियमित रूप से एक गुलाब अर्पित करते रहें।
इस प्रकार पूजा करके ऐसे श्रीयंत्र को आप इस दिन व्यावसायिक स्थल पर भी स्थापित कर सकते हैं। लक्ष्मी की अपार कृपा होती है।
—– ऋण से मुक्ति के लिए अक्षय तृतीया पर कनकधारा यंत्र की लाल वस्त्र पर पूजा घर में स्थापना करें। पंचोपचार से पूजा करें। 51 दिन तक श्रद्धा से यंत्र का पाठ करें। धीरे-धीरे ऋण कैसे उतर गया, यह पता भी न चलेगा।
—– आकस्मिक धन प्राप्ति के लिए अक्षय तृतीया से प्रारंभ करते हुए माता लक्ष्मी के मंदिर में प्रत्येक शुक्रवार धूपबत्ती व गुलाब की अगरबत्ती दान करने से जीवन में अचानक धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
—— वास्तुदोष के कारण यदि आर्थिक समृद्धि रुकी हुई हो तो ढक्कन सहित एक चांदी की डिबिया में गंगाजल भर दें। डब्बी पर मौली के साथ एक मूंगा बांध दें। अक्षय तृतीया के दिन इसे ईशान कोण में स्थापित कर दें। आर्थिक समृद्धि बढ़ने लगेगी। सभी प्रकार का नुकसान खत्म हो जाएगा। 
—— धनधान्य की वृद्धि के लिए अक्षय तृतीया को एक मुट्ठी बासमती चावल बहते हुए जल में श्री महालक्ष्मी का ध्यान करते हुए व श्री मंत्र का जप करते हुए जल प्रवाह कर दें। आश्चर्यजनक लाभ होगा।
—–धन की विशेष प्राप्ति के लिए अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण में जड़ित चौदहमुखी रुद्राक्ष का प्रथम पंचोपचार से पूजन करें। लाल फूल अर्पित करें। रुद्राक्ष की माला से ॐ हृीं नम: मम गृहे धनं कुरु कुरु स्वाहा का एक माला जाप करें। 42 दिन तक जप करें। पश्चात रुद्राक्ष को गले में धारण करें।
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इस दिन दान एंव उपवास करने हजार गुना फल मिलता है। अक्षय तृतीया के दिन महालक्ष्मी की साधना विशेष लाभकारी एंव फलदायक सिद्ध होती है। 
खास बातें ——–
1- जिन जातकों के कार्यो अड़चने आ रही हैं, या फिर जिनके व्यापार में लगातर हानि हो रही है। 
2- अधिक परिश्रम के बावजूद भी धन नहीं टिकता है एंव घर में अशान्ति बनी रहती है। 
3- संतान मनोकूल कार्य न करें तथा विरोधी चॅहुओर से परेशान कर रहें । 
4- जिन महिलाओं के वैवाहिक सुख में तनाव की स्थिति बनी रहती है। 
तो ऐसे में अक्षय तृतीया का व्रत रखकर और गर्मी में निम्न वस्तुओं जैसे- छाता, दही, जूता-चप्पल, जल का घड़ा, सत्तू, खरबूजा, तरबूज, बेल का सरबत, मीठा जल, हाथ वाले पंखे, टोपी, सुराही आदि वस्तुओं का दान करने से उपरोक्त समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

adbhut sadhana | अद्भुत साधना गो जोगिन की

अद्भुत साधना

🌹🌹जय श्री महाकाल🌹🌹
दुरलभ साधना *गो जोगिन*की अद्भुत साधना

आज हम आप सभी को एक दुरलभ साधना *गो जोगिन*की अद्भुत साधना दे रहे है ! जिसका विधान सरल व सटीक प्रयोग है! गो जोगिन की साधना द्वारा मनुष्य वशीकरण आकर्षण व धन की स्त्रोत को आसानी से प्राप्त कर सकता है!ओर वचन लेने पर अन्य कार्यों को भी सरलता पूर्वक सिद्ध कर सकता है!
मन्त्र-आगारी जो गुरु यागे जोगिन गुरुदण्ड बतियाँ करिया बलैया री जोगन मुख अनरिता गायति रही रतिया गो जोगिन चल इन अकेलिया गो मारो है !तालियां गोजोगिन बाँधऊ नजरिया ,
गोजोगिन आ पहिया ना आये तो दोहाई मैया बनिता की दोहाइ सलीमा पैगम्बर की दोहाइ सलाई छू

कडवे तेल का दीपक लगाकर उसमे लाल बत्ती जलाए उस दीपक के तेल में थोड़ा सा चमेली के इतर मिलाए
चमेली के इतर , चमेली की फूल माला मीठा भोग और पान बीड़ा एवं इलायची पास रखे शुक्रवार की रात्रि में लाल आसन पर बैठकर इस मंत्र को रात्रि 10 बजे से प्रातः सूर्योदय तक करें सम्भवतया पहली ही रात्रि में गो जोगिन दर्शन देती है न् दर्शन हो तो 4 शुक्रवार जप करें अवश्य दर्शन होंगे जब भी वह आये तो उससे स्वयं आगे रहकर बात न् करें जब वह बोले तब प्रथम उसे माला पहनाई फिर चमेली के इतर का अर्घ्य देवे उंसके बाद भोग व पान देवे फिर उसे वचन लेवें
साधना किसी भी देवालय में न् करते हुए एकांत कक्ष में करें घी का दीपक व गुग्गल का धूप प्रज्वलित करें गो जोगिन जब वचन देती है ! तब उसे वापस बुलाने ओर कार्य करवाने का तरीका नियत कर लेवें|


गौ जोगिन सिद्ध शाबर मन्त्र

|| मंत्र ||
आगारी जो  गुरु यागे।
जोगिन गुरु डंड बतियाँ।
क्रिया बलियां।
रि जोगिन मुख अनरिता।
गायती रही रतिया।
गो जोगिन चल इन अकेलियाँ 
गो मारो है तालियां।
गो जोगिन बाँधूँ नजरियां।
गौ जोगिन  पहियाँ।
 आये तो दोहाई मइया बनिता कि।
दोहाई सलीमा पगैम्बर कि।
दोहाई सलाई छू कि।

विधि: इस मन्त्र क जप सावधानी से करना है।  डरना बिल्कुल नहीं है।  शुक्रवार को आरम्भ करना है। ११ शुक्रवार इसकाअनुष्ठान होगा ओर हर शुक्रवार को रातभर जप करने है। जोगिन जब दर्शन दे तो पुष्प माला से उसके सवागत करना है ओरतब अपने वचन उसके सामने रखने है।

abhichar karm nashak mantra | एक अद्वितीय मंत्र

अब एक अद्वितीय मंत्र


अब एक अद्वितीय तंत्र,मंत्र,यंत्र,जन्त्र,बंधन दोष एवं सर्व बाधा निवारण मंत्र 



अभिचार-कर्म नाशक मंत्र-

 राम नाम लेकर हनुमान चले,कहा चले चौकी बिठाने चले,चौकी बिठाके रात की विद्या दिन की विद्या चारो प्रहर कीविद्या काटे हनुमान जती,मंत्र बाँध तंत्र बाँध जन्त्र बाँध रगड के बाँध,मेरी आण मेरे गुरू की आण,छु वाचापुरी 

मंत्र का रोज मंगलवार से 108 बार जाप 21 दिन करना है.शाबर मंत्रो मे बाकी नियम नही होते है.मंत्र सिद्ध होगा & बभुत पर मंत्र को 11 बार पढकर 3 फुंक लगाये.अब बभुत को जिसपर तंत्र बाधा हो उसके माथे पर लगा दे तो पीडितके कष्ट दुर हो जायेगा.इस मंत्र से चौकी भी लगता है,बाधा भी कटता है और बंधन भी लगाया जाता है.यह हनुमतमंत्र मुझे गुरूमुख से प्राप्त हुआ है जो इस दुनिया के किसी भी किताब मे नही है.इस मंत्र से झाडा भी लगा सकते हैऔर पानी मे पढकर भी दिया  जा सकता है…

2.  छलछिद्र उच्चाटन

॥ मंत्र ॥
ॐ महावीर।
हनुमंत वीर।
तेरे तरकश में सौ सौ तीर।
खिण बाएं खिण दाहिने।
खिण खिण आगे होय।
अचल गुसाईं सेवता।
काया भंग न होय।
इंद्रासन दी बाँध के।
करे घूमे मसान
इस काया को छलछिद्र कांपे।
तो हनुमंत तेरी आन।
विधि: ये राम भक्त हनुमान जी के साधकों के लिए राम बाण प्रयोग है। पहले इसको सिद्ध कर लो. एकांत स्थान में१०८ बार २१ दिनों तक जप करो। मंत्र सिद्ध हो जायेगा। इसी दौरान अगर कुछ का कुछ देिखऐ दे तो घबराए नहीं . अपना जप चालु रखे।
बाद में जब भी जरूरत हो। लाल रंग के धागे में पांच तार लेकर लपेटकर इस मंत्र को पढ़ते हुए क्रम से सात गांठे लगादो और वांछित को पहना दें। हर तरह के छलछिद्रों का उच्चाटन हो जायेगा।

3.  प्रयोग उच्चाटन

॥ मंत्र ॥

काला कलुवा चौसठ वीर।
मेरा कलुवा मारा तीर।
जहां को भेजूं वहां को जाये।
मॉस मच्छी को छुवन न जाए।
अपना मार आप ही खाए।
चलत बाण मारूं।
उलट मूठ मारूं।
मार मार कलुवा तेरी आस चार।
चौमुखा दिया न बाती।
जा मारूं वाही को जाती।
इतना काम मेरा न करे।
तो तुझे अपनी माता का दूध हराम। 

विधि: तांत्रिक प्रयोग आदि के द्वारा मारन प्रयोगों में कईप्रयोग है जैसे बाण और मूठ मारना , ये कुछ सरल और अचूक है। लेकिन ये देिखऐ नहीं देते और जब भी आपको ये लगेकी ऐसा हुआ है तब लगातार ऊपर दिया हुआ मंत्रकाजप करते रहे, तांत्रिक कर्म वापिस चला जायेगा।
लेकिन पहले इस मंत्र को सिद्ध कर लो. १०८ बार जपो प्रतिदिन ४१ दिनों तक।
4. श्वास उच्चाटन

॥ मंत्र ॥

ॐ वीर वीर महावीर।
सात समुन्दर का सोखा नीर।
देवदत्त (शत्रु क नाम) के ऊपर चौकी चढ़े।
हियो फोड़ चोटी चढ़े।
सांस न आव्यो पड्यो रहे।
काया माहीं जीव रहे।
लाल लंगोट तेल सिंदूर।
पूजा मांगे महावीर।
अन्तर कपडा पर तेल सिंदूर।
हजरत वीर कि चौकी रहे।
ॐ नमो आदेश आदेश आदेश। 

विधि: यह प्रयोग शत्रु को मरेगा नहि लेकीन वो मारनतुल्य स्तिथि कर देगा उसकी। देवदत्त के स्थान पर शत्रुक नामलो। इसमें उसका शरीर स्थिर रहे गा लेकिनश्वास अनुभव नहि होगा।
मंगलवार कि रात को किसी चौराहे की हनुमान मंदिर मेंपहले हनुमान जी की पूजा करो। अब शत्रु के किसीवस्त्र परतेल ओर सिंदूर लगाकर देवदत्त के बदले शत्रुक नाम लेकर उसमे शत्रु कि प्राण प्रतिष्ठा करें अब उसकपडे को किसिहंडिया में रख कर उसका मुख बन्दकर उसे भली प्रकार बन्द करके जमीन में दबा दें – औरजब शत्रु को ठीक करना होतो उस हंडिया को खोल दें।लेकिन उस को लोहे कि किलों से या बबुल के कांटो सेन छेदें नहि तो शत्रु मर जाएगा।

5. विचित्र अवधूति उच्चाटन 

॥ मंत्र 

ॐ नमो षट्क गॉव में आनंदी गंगा।
जहां धूँ धं साधनी क स्थान।
नौ नगर।
नौ नेहरा।
नौ पटना नौ ग्राम।
जहां दुहाई धूँ धं साधनी कि।
ॐ उलंट्स वेद।
प्लंटत काया।
गरज गरज बरसंत पत्थर।
बरसंत लोही।
गरजंत ध्रूवा बरसंत।
चलि चलि चलाई।
चकवा धुँधला धनी।
ॐ धुँधला धनी।
सब डांटत फट स्वाहा।

विधि: पहले इस मन्त्र को १००८ बार जप कर सिद्ध कर लें। तब जरूरत पड़ने पर मुर्गी क अंडा लेकर १०८ बारअभिमंत्रित करके जहां फेंक दो गए वहां से सभी नगरवासी भाग जायेंगे। ये पूर्ण सिद्ध प्रयोग है।

6. विचित्र मन्त्र 
॥ मंत्र 
ॐ नमो आदेश गुरु को।
हो हनुमंत वीर।
बस्ती नगरी।
कल करता।
जेहु कहु।
जेहु चेतु।
जेहु मांगू।
ॐ जो न करै।
जो न करावै।
अंजनी का सीधा पाँव धरेगा।
अंजनी का चूसा दूध हराम करेगा।
नेलती खेलती कि वाचा चूके।
गौतम रूखै।
सर का कमण्डला पानी सूखे।
चलो मन्त्र गौतमी क वाचा।

विधियह अत्यधिक भयप्रद प्रयोग है। अतपूर्ण सोचसमझकर इसका प्रयोग करना चाहिए। उचितहोगाअगर इसको किसी पूर्ण गुरु कि देखरेख में हि कियजाएं। इसकी सिद्धि में देवता प्रत्यक्ष होकर कार्यपूराकरते है। इस मंत्र प्रयोग करता को त्यागी होना चाहिए ओर दृस्टि भर किसी को देखना नहि चाहिए।

karya siddhi sabar mantra in hindi | मनोवांछित कार्य में सफलता

मनोवांछित कार्य में सफलता


. मनचाहा कार्य सिद्धिमन्त्र


॥ मंत्र ॥
ॐ नमो सात समुन्द्र के बीच शिला।
जिस पर सुलेमान पैगम्बर बैठे।
सुलेमान पैगम्बर के चार मुवकिल।
पूर्व को धाया देव दानवों को बांधीलाया।
दूसरा मुवकिल पश्चिम को धाया।
भूत प्रेत को बाँधी लाया।
चौथा मुवकिल उत्तर को धाया।
अयुत पितृ को बांधी लाया।
चौथा मुवकिल दक्षिण को धाया।
डाकिनी शाकिनी को पकडी लाया।
चार मुवकिल चहुँ दिशि धावें।
छलछिद्र कोऊ रहन न पावे।
रोग दोष को दूर भगावे।
शब्द शांचा।
पिंड कांचा।
फुरे मन्त्र ईश्वरो वाचा। 

विधि: पहले तो इस मन्त्र कोग्रहण काल में २१ माला जप कर सिद्धकर लो। फिर जब भी जरूरत हो तबकपडे कि चारगुड़िया बनाना फ़िर लोबान जला कर १०८ बार इस मंत्रका जप करना है। अब मंत्र से इनचारोँ गुड़िया य पुतलियोंकोअभिमंत्रित करके चार अलग अलगकौनों में दबा दें। अब फिर १५ मंबैठकर कम्बल के आसान पर इसमन्त्र क जपकरें। इस से सभी अमंगलका नाश होकर सभी विघ्नो क कामखतम हो जता है और मनोवांछित कार्य में सफलतामिलती है चाहे कार्य कैसा भि हो।
वीरों का जंजीरा 
॥ मंत्र ॥

लाइलाहाइलल्लाह।
हजरत वीर कि सल्तनत को सलाम।
वी आजम जेर जाल मशवल कर।
तेरी जंजीर से कौन कौन चले।
बावन भैरों चले।
चौसठ योगिनी चले।
देव चले।
विशेष चले।
हनुमंत की हाँक चले।
नरसिंह कि धाक चले।
नहीं चले तो सुलेमान के बखत कि दुहाई।
एक लाख अस्सी हजार पीर पैगम्बर कि दुहाई।
मेरी भक्ति गुरु कि शक्ति।
फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा। 

विधि: यह बहुत हि शक्तिशाली प्रयोग है। इसमें सभी वीर या जीन्न प्रकट हो जाते है। उनको वचन में बांध कर कोइभि कैसा भि काम करवाया जा सकता है। कमजोर दिल वालों को ये नहि करनी चाहिए। सबसे पहले या तो गुरुवार कोय फ़िर शुकरवार को ये साधना सुरु कर सकते है। प्रतिदिन २१ माला जपनी है २१ दिनों तक रात को दस बजे के बाद ।कभी भी जिन्न या वीर आ सकते है। वस्त्र सफ़ेद होने चाहिए ओर मुख साधक का पश्चिम कि तरफ होना चाहिए।


अग्नि वेताल 

॥ मंत्र ॥

ॐ नमो अगिया वीर बैताल।
पैठि सांतवे पाताल।
लांघ अग्नि कि जलती झाल।
बैठी ब्रह्मा के कपाल।
मछली, चील, कायली, गूगल, हरिताल।
इन वास्तां को ले चालै।
न लै चलै तो माता कालीका कि आन। 
विधि: सबसे पहले सभी सामग्री इकठी कर लें जोमन्त्र मैं दि गई है।फिर रात होने पर दिवाली य होलिके दिन ५१माला जप कर इसको सिद्ध कर लो।मिटटी का दीपक सरसों के तेल से जलता रहे।जपके दौरान अग्नि बैताल वेतालप्रकट होगा तबउसको ऊपर दि गयी सामग्री प्रदान करके खुश करलो।फिर टेस्ट करने के लिये कंकड़ को मन्त्रसेअभिमंत्रित करके जहां पर भि कंकड़ मरोगे वहीँपर आग लग जाएगी।


वशीकरण या काले जादू कि काट या तोड़ 

॥ मंत्र ॥

ॐ नमो देव लोक दिविख्या देवी।
जहां बसे इस्माइल योगी।
छपन भैरो।
हनुमंत वीर।
भूत प्रेत दैत्य को मार भगावे।
पराई मायाँ लावे।
लाडू पेड़ा बर्फी सेब सिंघाड़ा पाक बताशा।
मिश्री घेवर बालुशाई लौंग डोडा इलायची दाना।
तेल देवी काली के ऊपर।
हनुमंत गाजै।
एति वस्तु मैं चाही लाव।
न लावे तो तैंतीस कोटि देवता लावें।
मिर्ची जावत्री जायफल हरड़े जंगी-हरड़े।
बादाम छुआरा मुफ्रें।
रामवीर तो बतावें बस्ती।
लक्ष्मण वीर पकड़ावें हाथ।
भूत प्रेत के चलावें हाथ।
हनुमंत वीर को सब काऊ गाव।
सौ कोसां क बस्ता लाव।
न लावे तो एक लाख अस्सी हजार वीर पगैम्बरलावे।
शब्द साँचा।
पिंड कांचा।
फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा। 

विधि: वशीकरण या काले जादू के तोड़ य काट केलिये ये मन्त्र रामबान इलाज है।कितना भीशक्तिशाली वशीकरण यातांत्रिक क्रिया हो इसमन्त्र के अनुष्ठान के दौरान ही उसकी काट हो जातीहै ओर वापिस तांत्रिक पर अटैक करति है अनुष्ठान के अंत में जब हनुमान जि प्रसन्न होकर दर्शन देते हैतब उनसे मनचाही कोइ भि वार मांग सकती हो।
सिंदूरी हनुमान कि पूजा करो ओर चोला चढ़ाओ।चोला (लंगोट, सिंदूर चमेली के तेल के साथ, जनेऊओर लाल धव्जा ) . ४० दिन तक ये अनुष्ठान चलेगाप्रतिदिन २१ माला सूर्योदय से पहले करनी है नहरय नदी क किनारा हो तो बेस्टहोगा।


जिन्न को प्रकट करने का प्रयोग 

॥ मंत्र ॥

काली काली महाकाली।
इन्द्र कि बेटी ब्रह्मा कि साली।
बालक कि रखवाली।
काले कि जै काली। भैरों कपाली।
जटा रातों खेले।
चंद हाथ कैडी मठा।
मसानिया वीर। चौहटे लड़ाक।
समानिया वीर।
बज्रकाया।
जिह करन नरसिंह धाया।
नरसिंह फोड़ कपाल चलाया।
खोल लोहे का कुंडा। मेरा तेरा बाण फटक।
भूगोल बैढन।
काल भैरो बाबा नाहर सिंह।
अपनी चौकी बठान।
शब्द साँचा।
पिंड कांचा।
फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा। 

विधि: २१ शनिवार और रविवार को ये करना है। रात १० बजे के बाद २१ माला जपनी है।जिन्नात प्रकट होगा तब उसको वचनो में बांध लेना है। फिरजैसा कहोगे वैसा वो करेगा।

काल भैरव को प्रकट करने क मन्त्र 

॥ मंत्र ॥

ॐ काली कंकाली।
महाकाली के पुत्र।
कंकाल भैरव हुकुम हाजिर रहे।
मेरा भेजा रक्षा करे।
आन बाँधूँ।
बान बाँधूँ।
फूल में भेजूं फूल मैं जाय।
कोठे जि पडे थर थर कांपे।
हल हल हैले।
गिरी गिरी परे।
उठी उठी भगे।
बक बक बके।
मेर भेजा सवा घड़ि।
पहर सवा।
दिन सवा।
मास सवा।
सवा बरस को बावला न करे।
तो माता काली कि शय्या पे पग धरे।
वाचा चुके।
तो उमा सूखे।
वाचा छोड़ कुवाचा करै।
धोबी कि नाँद।
चमार के कुंढे में पड़ै।
मेर भेजा बावला न करैं।
तो रुद्र के नेत्र से आग की जवाला कढै।
सिर कि जटा टुट भूमि में गिरे।
माता पार्वती के चिर पे चोट पडे।
बिन हुकुम नहि मारना।
हे काली के पुत्र कंकाल भैरव।
फुरे मन्त्र ईश्वरो वाचा।
सत्य नाम आदेश गुरु को।

 विधि: इस मन्त्र का अनुष्ठान ४० दिनों का है। ४०दिनों तक २१ माला प्रतिदिन करनी है।बाबा कालभैरव प्रकट हो जाएँगे ओर मनचाहा वर मांग लेना।

प्रबल वशीकरण

॥ मंत्र ॥

ॐ नमो आदेश गुरु को।
काला भैरव, काला केश।
कानों मुंद्रा, भगवा वेश।
मार मार काली पुत्र बारह कोश कि मार।
भूतां हाथ कलेजी खूँहा ।
गेडिया जहां जाऊं भैरों साथ।
बारह कोश कि ऋद्धि लाओ।
चौबीस कोश कि सिद्धि लाओ।
सोती होय जगाय लाओ।
बैठी होय उठाय लाओ।
अनंत केशर कि भारी लाओ।
गौर पार्वती कि बिछिया लाओ।
गेल्या कि रस्स्तान मोह।
कुँए बैठी पनिहारी मोह।
गद्दी बैठा बनिया मोह।
गृह बैठी बनियानी मोह।
राजा कि रजवादीन मोह।
महलों बैठी रानी मोह।
डाकिनी को। शाकिनी को। भूतनी को।
पलितनी को। ओपरी को। पराई को।
लॉग को। लपटाइ को। धूम को।
धक्का को। पलिया को। चौड़ को।
चुगाठ को। काचा को। कलवा को।
भूत को। पलित को। जिन्न को।
राक्षस को। बैरिन से बरी कर दे।
नजरों जड दे ताला।
इता भैरव न करे तो पीते महादेव कि जटा तोड़तगड़ी करे।
माता पार्वती क़ा चीर फ़ाड़ लंगोट करे।
चल डाकिनी शाकिनी।
चौडूँ मैला बाकरा। देऊन मद की धार भारी सभा मेंधुँ आने में कहाँ लगाई वार।
खप्पर में खाय मसान में लोटे।
ऐसे काल भैरव कि कूँ पूजा मेटे।
राजा मेटे राज से जाय।
प्रजा मेटे दूध पूत से जाय।
जोगी मेटे ध्यान से जाय।
शब्द साँचा।
पिंड कांचा।
फुरे मन्त्र ईश्वरो वाचा। 

विधि: ये एक तरह से बहुत प्रबल वशीकरण है। किसी को बिना कुछ कहे, खिलाये पिलायेओरकोइ कहिं पर भि हो एक दम वशीकरण हो जाताहै। किसी को पता भी नहि चलता ओर काम होजाता है।
२१ शनिवार को ११ -११ माला इस मंत्र की जपनीहै। और दिन के समय कुत्ते को सरसों के तेल सेचुपड़ी रोटी खिलानीहै। सनिवार की रात कोसरसों के तेल क दीपक किसि नदी य नहर केकिनारे पर जल कर बैठ कर ये मन्त्र जपने है।अगरये संभव न हो तो एक पत्थर पर चमेली के तेल ओरकाले रंग से रंग कर दो। और वहां बैठ कर अनुष्ठानकरो।जब काल भैरव बाबा प्रकट हो तब नीचे दिगईं स्मग्री क भोग लगा दें। भैरव जी प्रसन्न होजाएँगे ओर मनचाहा कार्यपूरा कर देंगे।
सामग्री – २ लौंग , १ नारियल , १ बोतल शराब ,और एक पान।


हनुमान शाबरमन्त्र

 ॥ मंत्र ॥

अजरंग पहनू।
बजरंग पहनू।
सब रंग रखु पास।
दायें चले भीमसेन।
बाएं हनुमान।
आगे चले काजी साहेब।
पीछे कूल बलारद।
आतर चौकी कच्छ कुरान।
आगे पीछे तु रहमान।
घड़ खुदा, सिर राखे सुलेमान।
लोहे क कोट।
ताम्बे का ताला।
करला हंसा बीरा।
करतल बसे समुन्द्र तीर।
हाँक चले हनुमान कि।
निर्मल रहे शरिर।
शब्द साँचा। पिंड कांचा।
फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।
 विधि: ये अनुष्ठान २१ दिनों का है। प्रतिदिन 21माला करनी है। हनुमान की पूजा मंदिर मेंदें.जनेऊ, लाल लंगोट, ध्वजा,सिंदूर ओर चमेली कातेल। इसी दौरान हनुमान जि दर्शन देंगे जो भिइच्छा होंगी वो मांगलेना।


हनुमान शाबर मन्त्र 

॥ मंत्र ॥

हनुमान जाग ।
किलकारी मार ।
तू हुंकारे।
राम काज सँवारे।
ओढ़ सिंदूर सीता मैया का।
तू प्रहरी राम द्वारे।
में बुलाऊँ , तु अब आ।
राम गीत तु गाता आ।
नहीं आये तो हनुमाना।
श्री राम जी ओर सीता मैया कि दुहाई।
शब्द साँचा।
पिंड कांचा।
फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।
 विधि: २१ माला प्रत्येक मंगलवार को सूर्योदय से पहले। ११ मंगलवार तक ये अनुष्ठान करनाहै। हनुमान जि कि पूजा देना है, जैसा पहले मंत्रो मैं दिया गय है. जब बाबा उपस्थित हो तो वार मांग लेना है।